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मैडम ने आते ही शुरू कर दी धुआंधार पारी *सब खैरियत है...मुकेश पूनिया*
2/07/2021 10:01:00 AM
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📝 ✍️ मैडम ने आते ही शुरू कर दी धुआंधार पारी
*सब खैरियत है...मुकेश पूनिया* ------------------- *अब प्यारा लग रहा भाजपा का घर-आंगन* कमल का फूल हमारी भूल,बताकर भाजपा का दामन छोडऩे वाले कई नेता अब पार्टी में वापसी के लिये उतावले नजर आ रहे है। इनमें घनश्याम तिवाड़ी तो फिर सफल हो चुके है,लेकिन दिग्गज नेता देवीसिंह भाटी और मानवेन्द्र सिहं का मामला फिलहाल फीट नहीं बैठा है। पता चला है कि इन दोनों को वसु मैडम तो भाजपाई बनाने के लिये तैयार है,लेकिन पार्टी में विरोधी लॉबी के नेताओं ने अडग़ा लगा रखा है । वैसे देवीसिंह भाटी को पार्टी में शािमल करने के लिये तो भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने भी हरी झंडी दिखा दी थी,लेकिन चुरू वाले फायरब्रांड पूर्व मंत्री ने खेल बिगाड़ दिया। वहीं मानवेंद्र भाजपा में सम्मानजनक वापस की कोशिश में जुटे हैं, लेकिन यह राह उतनी आसान नहीं है। क्योंकि जोधपुर वाले केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह एक राजपूत नेता के रूप में अपने पांव जमा चुके हैं। वहीं, बाड़मेर-जैसलमेर के सांसद रह चुके मानवेंद्र के स्थान पर अब केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी काबिज हो चुके हैं । ऐसे में देवीसिंह और मानवेन्द्र सिंह की भाजपा में वापसी को लेकर कई तरह की सियासी अटकलों का माहौल गर्म है,मगर फिलहाल सब खैरियत है। ------------------------------ *बंद हो गई जिला आबकारी जी की बोलती* पियक्कड़ो के लिये मौत बनी जहरीली शराब की रोकथाम का जिम्मा सीधे तौर से मोटी कमाई करने वाले आबकारी महकमें के अफसरों का है,लेकिन महकमें के अफसर जिम्मेदारी निभाने के बजाय अपनी कमाई पर ज्यादा फोकस रखते है। इस मामले में बीकानेर के आबकारी अफसरों के किस्से तो चहुंओर गूंजते सुनाई दे रहे है। वैसे आबकारी के इन कमाऊ अफसरों की वजह से हमारा बीकानेर भी कई साल पहले जहरीली शराब त्रासदी की मार झेल चुका है,इसके बावजूद ताजा माहौल में जिले के कई गांव-ढाणियों में बन रही हथकढ शराब की रोकथाम में आबकारी महकमें के अफसर ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखा रहे है। ऐसे में बेचारी खाकी फौज को दुगुनी जिम्मेदारी निभानी पड़ रही है। हैरानी की बात तो यह है कि जिला आबकारी जी ने पिछले दिनों बढ चढ कर दावा किया था कि बीकानेर में हथकढ शराब देखने को भी नहीं मिलती,लेकिन जब खाकी फौज कार्यवाही के लिये निकली तो जिले के कई इलाकों में हथकढ शराब के ठिकाने उजागर कर दिये। अब इन ठिकानों पर गंगाजल तो बनने से रहा है,ऐसे में जिला आबकरी जी किस बिनाह पर दावा कर रहे थे, इसे लेकर उनकी बोलती बंद है,मगर फिलहाल सब खैरियत है। --------------------------------- *मैडम ने आते ही शुरू कर दी धुआंधार पारी* जिला पुलिस की कप्तानी संभाल रही नई मैडम इस कदर धूंआधार अंदाज में पारी की शुरूआत करेगी,इसका अंदाजा बीकानेर में लंबे समय से पारी संभाल रहे खाकी फौज के धूरधंरों को भी नहीं था । शुुरूआती पारी में ही मैडम के इस विस्फोट अंदाज को देखकर खाकी फौज के गलियारों से लेकर अपराध जगत के गलियारों में नारी शक्ति,सब पर भारी का नारा भी जोर शोर से गूंज रहा है। मजे कि बात तो यह है कि शहर में लगातार हो रहे अपराधों के बावजूद खाकी फौज के जो अफसर अपने कैबिनों से कभी-कभार ही बाहर निकलते थे,वह अब प्रभावी ढंग से गश्त करते दिखाई दे रहे है । थानों में लेन-देन के एपिसोड भी सामने नहीं आ रहे है। सालों से वांच्छित अपराधियों की धरपकड़ का आंकड़ा भी लगातार बढता जा रहा है। थानों में पीडि़तों की सुनवाई इत्मिनान से होने लगी है । जिले की खाकी फौज के माहौल में आये इस बदलाव से आमजन भले ही फीलगुड महसूस कर रहे हो,लेकिन महकमें के कई धूंरधर खुद असहज महसूस कर रहे है। मगर फिलहाल सब खैरियत है। --------------------------- *बीकानेर में शर्मसार हो रहे कांग्रेसी* प्रदेश में कांग्रेस की सरकार,और सरकार में बीकानेर के दो-दो मंत्रियों के बावजूद यहां कांग्रेसी कार्यकर्ताओं को शर्मसार होना पड़ रहा है,हालत यह हो गई कि लोगों ने उन्हे बिकाऊ पार्टी का कार्यकर्ता कहना शुरू कर दिया है । हालांकि कांग्रेस के यह कार्यकर्ता कृतव्यनिष्ठा में किसी से कम नहीं है,लेकिन जब बात नोखा और श्रीडूंगरगढ पालिका के चुनावों की आती है,तो इनकी बोलती बंद हो जाती है। क्योंकि नोखा में विकास मंच वालों ने समूची कांग्रेस को ही खरीद लिया,वहीं श्रीडूंगरगढ में भाजपा से बागी पार्षद ने चैयरमेनशीप की दावेदारी के लिये पालिका के तमाम जीते हुए कांग्रेसी पार्षदों को खरीद कर अपनी लॉबी में शामिल कर लिया। हालांकि नैतिकता की भाषा में बात की जाये तो दोनों जगह कांग्रेस ने त्याग किया है,लेकिन ताजा दौर की सियासत में नैतिकता की भाषा समझता कौन है,इसलिये सब कांग्रेस को बिकाऊ बता कर पार्टी कार्यकर्ताओं की फजीहत करने में जुटे है,मगर फिलहाल सब खैरियत है।✍🏻
✍🏻 मुकेश पूनिया
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