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बजट : एक्सपर्ट व्यू - बीमा क्षेत्र का अंधाधुंध निजीकरण खतरनाक - डाॅ अजय जोशी

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 📝   ✍️बजट : एक्सपर्ट व्यू - 

बीमा क्षेत्र का अंधाधुंध निजीकरण खतरनाक - डाॅ अजय जोशी

आर्थिक चिंतक और विश्लेषक प्रोफेसर डॉ. अजय जोशी ने कहा कि इस बजट में आम आदमी के लिए हर दृष्टि से निराशाजनक है।इसमें आय और रोजगार बढ़ाने के लिए कुछ भी नहीं है।एक तरफ आम आदमी की आय नहीं बढ़ी रही है बल्कि जो कुछ उसके पास थोड़ा बहुत बचत के रूप में जमा है वह और अधिक असुरक्षित होने की संभावना हैं।आम आदमी के लिए अपनी बचत को सुरक्षित रखने में बैंकों और बीमा के कंपनियों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।बैंकों में ब्याज दरें निरन्तर घटकर नाम मात्र की रह गयी है।बीमा को व्यक्ति जोखिम से सुरक्षा और सुरक्षित निवेश का एक प्रभावी माध्यम मानता है। आम आदमी सरकारी बीमा कंपनियों में अपने निवेश को सुरक्षित मानता है लेकिन अब भारतीय जीवन बीमा निगम के आईपीओ लाने की बात बजट में की गई है इस तरह यह सबसे विश्वसनीय सरकारी कम्पनी निजीकरण की तरफ बढ़ रही है। साथ ही बीमा कंपनियों में विदेशी निवेश की सीमा को बढ़ाकर अचानक से 74 प्रतिशत तक कर दिया गया है। वर्तमान में जो विदेशी और घरेलू निजी बीमा कम्पनियां कार्य कर रही हैं उनकी कार्य प्रणाली किसी से छुपी हुई नहीं हैं।उनमें जिन लोगों ने निवेश किया है उस राशि पर सामान्य ब्याज दर से रिटर्न्स मिलना तो दूर बल्कि मूल रकम भी सुरक्षित नही रही है। आम निवेशक ने जो निवेश किया उसके 5 से 7 साल बाद भी मूल राशि आधी से कम रह जाने के लाखों उदाहरण  हमारे सामने है। इन कम्पनियों द्वारा दावों के भुगतान में आनाकानी करना और झूठी सच्ची कमियां बताकर दावों के भुगतान को रोक देने की प्रवर्ति रही है। अब 74 प्रतिशत तक निवेश की छूट से और अधिक निजी और विदेशी कंपनियां इस क्षेत्र में आएंगी।ये कम्पनियां आकर्षक योजनाओं के मायाजाल में फंसाकर उसका पैसा लूट सकती हैं ।लंबे समय से बीमा क्षेत्र के निजीकरण का विरोध हो रहा था उसको दरकिनार करके एकदम से विदेशी निवेश की सीमा बढ़ाना खतरनाक साबित हो सकता है।बजट के अन्य प्रावधान भी आम आदमी की दृष्टि से निराशाजनक ही हैं।
प्रोफेसर डॉ. अजय जोशी,
संपादक-मरु व्यवसाय चक्र,
बिस्सों का चौक, बीकानेर 334001 राजस्थान मो. 8963050900 ✍🏻




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