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साहित्यिक स्रोत कला और स्थापत्य को आधार प्रदान करते हैं - डॉ. अम्बिका ढाका

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 📝  साहित्यिक स्रोत कला और स्थापत्य को आधार प्रदान करते हैं - डॉ. अम्बिका ढाका एस.आर.एल.एस. राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, कालाडेरा और निदेशालय, कॉलेज शिक्षा राजस्थान सरकार के संयुक्त तत्त्वाधान ज्ञान गंगा कार्यक्रम के अन्तर्गत ऑनलाईन माध्यम से आयोजित “इनिशियेटिव्स फॉर एक्सिलेन्स इन टिचिंग लर्निंग ऑफ हिस्ट्री” साप्ताहिक कार्यशाला में दूसरे दिन इतिहास विभाग, महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय, बीकानेर की डॉ. अम्बिका ढाका ने “रिलिजियस आर्ट एण्ड आर्किटेक्चर विद स्पेशल रेफरेन्स टू लिटरेरी सोर्सेज” विषय पर व्याख्यान दिया। डॉ. ढाका ने बताया कि भारतीय इतिहास में स्थापत्य और कला से संबंधित साहित्यिक स्रोत प्राचीन काल से ही प्राप्त होते हैं जो गुप्त काल में लिपिबद्ध किये गए। कला स्थापत्य से संबंधित साहित्यिक स्रोतों के रूप में आगम साहित्य, अग्नि पुराण, मत्स्य पुराण, विष्णुधर्मात्तर पुराण, प्रासाद मण्डन, रूपमण्डन, राजवल्लभ वास्तुशास्त्र, वास्तुसार, वास्तुमंजरी आदि अनेक मौलिक स्रोत उपलबध हैं जो भारतीय कला एवं स्थापत्य में गहरी समझ बनाने में सहायक हैं। भारतीय कला में उपलब्ध अनेक उदाहरणों के रूप में चित्तौड़ की क्षेमंकरी, रंगमहल से शिव-पार्वती व गोवर्धनधारी कृष्ण, ब्रह्मा के चतुर्मुख आदि की साहित्यिक संदर्भों के साथ व्याख्या की। कार्यक्रम में विभिन्न कॉलेजों के इतिहास विषय के शिक्षकों ने सहभागिता की तथा उद्बोधन को सार्थक व सारगर्भित बताया। कार्यक्रम की संयोजक डॉ. अनन्ता माथुर ने डॉ. अम्बिका का स्वागत किया। डॉ. अनिता सुराणा ने सत्र के अन्त में धन्यवाद ज्ञापित किया।




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