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फसल खराबे से जिले के डेढ़ लाख किसान हुए प्रभावित मुआवजे के लिए केन्द्रीय दल के समक्ष 184.09 करोड़ रुपए की मांग

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फसल खराबे से जिले के डेढ़ लाख किसान हुए प्रभावित
मुआवजे के लिए केन्द्रीय दल के समक्ष 184.09 करोड़ रुपए की मांग




केन्द्रीय मंत्रालयिक दल ने लिया फसल खराबे का जायजा
बीकानेर , 19 जनवरी। फसल खराबे के चलते जिले में वर्ष 2020- 21 के दौरान 1 लाख 50 हजार से अधिक किसान प्रभावित हुए हैं। सूखा, अल्प वृष्टि और असमय वर्षा के चलते जिले की विभिन्न तहसीलों के 305 गांवों में फसल खराबा हुआ है जबकि इसी वित्तीय वर्ष में जिले के 18 गांव टिड्डी दलों के आक्रमण के चलते प्रभावित रहे हैं।
जिला कलेक्टर नमित मेहता ने मंगलवार को सूखा प्रभावित क्षेत्रों का जायजा लेने आए केंद्र सरकार के अंतर मंत्रालयिक दल के समक्ष पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन में यह सूचना दी। मेहता ने बताया कि सूखे के कारण जिले के 437 गांव प्रभावित हुए जिनमें से 132 गांवों में 33 प्रतिशत से कम फसल खराबा हुआ वही ,305 गांवों में 33 प्रतिशत से अधिक फसल खराबा रहा। सूखा प्रभावित किसानों के लिए मुआवजे के रूप में दल के समक्ष 184.09 करोड रुपए के अनुदान की मांग रखी गई।
मेहता ने बताया कि सर्वाधिक फसल खराबा लूणकरणसर तहसील में रहा जहां क्षेत्र के 84 गांवों में 50 से 75 प्रतिशत तक फसलें खराब हुई। जिला कलेक्टर ने बताया कि इससे जिले के 50,000 लघु और सीमांत किसान प्रभावित हुए हैं जबकि करीब 99000 लघु और सीमांत श्रेणी कृषकों से भिन्न श्रेणी के किसानों को भी नुकसान हुआ है।
मोठ और गवार की फसलें मुख्य रूप से हुई प्रभावित
अधिकतम सहायता दिलवाने का आश्वासन
मेहता ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2020-21 में सूखे के कारण जिले में मोठ और ग्वार की फसलों में मुख्य रूप से नुकसान हुआ।अंतर मंत्रालयिक दल के एमएनसीएफसी के निदेशक डॉ शिबेन्दु एस रॉय ने कहा कि सूखे के चलते प्रभावित हुए किसानों को अधिक से अधिक सहायता राशि मिले, इसके लिए टीम प्रभावित क्षेत्र का दौरा कर रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी और यह प्रयास रहेगा कि प्रभावित किसानों को मुआवजे की अधिकतम राशि दिलवाई जाए। उन्होंने कृषि अधिकारियों से किसानों को फसल बीमा के लिए अधिक से अधिक प्रोत्साहित करने की बात कही। रॉय ने कहा कि जिले में विपरीत मानसून स्थितियों के मद्देनजर दीर्घगामी रणनीति बनाकर किसानों को इसका फायदा दिलाने की दिशा में भी दल प्रयास करेगा।
बैठक में जनप्रतिनिधियों ने भी जिले में सूखा प्रभावित क्षेत्रों की स्थिति पर अपनी बात रखी ।पूगल प्रधान गौरव चैहान ने बताया कि तहसील के राजासर और केलां में फसल खराबे के कारण किसानों के आर्थिक हालात काफी नकारात्मक है । उन्होंने बताया कि राजासर और केलांग दूध उत्पादन के बड़े केंद्र है लेकिन कम बरसात और फसल खराबे चलते यहां पर आर्थिक गतिविधियां बहुत प्रभावित हुई है। उन्होंने क्षेेत्र में प्रति किसान 1 लाख मुआवजा दिलाए जाने की मांग की। उन्होंने कहा कि लाकडाउन के कारण जिले के इन गांव में पहले ही आर्थिक स्थिति खराब है ऐसे में किसानों को मिलने वाली मदद उनकी मूलभूत आवश्यकताएं पूरी करने में अहम साबित होगी । उन्होंने क्षेत्र में पशु चारा डिपो भी खुलवाने की भी मांग की। दल में सदस्य के रूप में पीएचई के उपसलाहकार डी राजशेखर तथा एफसीआई जयपुर के डीजीएम आई के चैधरी उपस्थित रहे। बैठक के दौरान अतिरिक्त जिला कलेक्टर प्रशासन बलदेव राम धोजक, संबंधित उपखंड अधिकारी और अन्य विभागों के अधिकारी उपस्थित रहे।
दल ने प्रभावित क्षेत्र का किया दौरा, ग्रामीणों से किया संवाद
जिला प्रशासन के साथ विस्तार से चर्चा करने के पश्चात मंगलवार को अंतर मंत्रालयिक दल ने लूणकरणसर, छतरगढ़, पूगल के विभिन्न सूखा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर जायजा लिया और किसानों से संवाद किया।
दल ने लूणकरणसर की बींझरवाली, सोढ़वाली और खियरां में सूखे से प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया और किसानों से बातचीत की। सदस्यों ने खरीफ 2020-21 में किसानों से फसलों की बुवाई, आजीविका, पेयजल आपूर्ति ,लॉकडाउन के बाद के असर सहित विभिन्न बिंदुओं पर विस्तार से चर्चा की । डॉ रॉय ने पूछा कि नरेगा में कितने लोगों को रोजगार उपलब्ध करवाया जा रहा है तथा कितने लोगों को 100 दिन का रोजगार दिया जा चुका है इसी दौरान क्षेत्र में उगने वाली मुख्य फसलों की भी जानकारी ली।
दल के सदस्यों ने किसानों से खरीफ 2020 -21 के दौरान जिन फसलों पर सूखे का अधिक असर हुआ है उनके बारे में जानकारी ली । किसानों ने उन्हें बताया कि बरसात नहीं होने और कुछ क्षेत्र में बहुत कम वर्षा के कारण मोठ, ग्वार, बाजरा, मूंग जैसी फसलों को विशेष रूप से नुकसान पहुंचा है।


कैसे जिंदा रहा पशुधन
दल के सदस्यों ने किसानों से संवाद किया कि अकाल के दौरान पशु चारे को लेकर क्या व्यवस्था की गई। इस पर किसानों ने बताया कि पंजाब और आसपास के क्षेत्रों से पराली और तूडी चारा इत्यादि आयात कर पशुओं के लिए चारे की व्यवस्था की गई थी। उन्होंने बताया कि लगातार 3 साल से क्षेत्र में अकाल की स्थितियां बन रही है। इस कारण किसानों को खासी आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, नहर का पानी भी नियमित रूप से सप्लाई नहीं हो पाता है। दल ने किसानों की आय, पशुओं से होने वाली दूध विक्रय आदि से होने वाले आर्थिक लाभ की भी जानकारी ली। अंतर मंत्रालयिक दल के सदस्यों ने बीझरवाली में अजमल कंवर के खेत में दौरा कर मौका मुआयना किया। उन्होंने खियरां में गौशाला का निरीक्षण भी किया ।केन्द्रीय दल ने किसानों को फसल बीमा जरूर कराने की सलाह दी। उन्होंने छतरगढ के राजासर भाटियान, पूगल के बरजू, करणीसर भाटियान आदि में भी किसानों से बातचीत की। इस दौरान अतिरिक्त जिला कलक्टर (प्रशासन) बलराम धोजक, लूणकरणसर एसडीएम भागीरथ साख, तहसीलदार लूणकरणसर शिवप्रसाद गौड, संयुक्त निदेशक कृषि डॉ उदय भान, उपनिदेशक कृषि कैलाश चैधरी सहित संबंधित विभागीय अधिकारी उपस्थित रहे।




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