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🙏 मोहन थानवी 🙏
सच्चाई पढ़ें । सकारात्मक रहें । संभावनाएं तलाशें ।
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सादगी से सेवानिवृत्त हो गए साथी, कार्यक्रम नहीं हुए
बीकानेर । सरकारी सेवा में जीवन के अधिकांश वर्ष देने वालों में से कुछ आज सेवानिवृत्त हुए। समाज के लोगों और साथियों को सेवानिवृत्त हुए साथी संग भावनाएं साझा करने का यह मौका नसीब न हुआ क्योंकि आयोजनों पर प्रतिबंध जारी है। सेवानिवृत्त होने की औपचारिकताएं पूरी किए जाने वाला क्षण किसी भी कर्मचारी के लिए एक भावुक पल होता है। ऐसा इसलिए कि निष्ठापूर्वक सेवा पूर्ण कर कार्यस्थल से ससम्मान विदाई मिलती है, तो अपने घर पहुंचने पर मित्र संधु बांधवों की शुभकामनाएं बाहें पसारे खड़ी दिखती हैं। इन पलों की तमन्ना हर कर्मचारी करता है। यही वजह है कि सेवानिवृत्ति पर समारोह होता है। ढोल, नगाड़ों की गूंज के बीच, पुष्पहारों से लकदक कर्मचारी को भी अपने दायित्व का सफलतापूर्वक निर्वहन करने पर गर्व होता है और उसका सम्मान करने वाला भी गौरवान्वित होता है। । लेकिन, मार्च और अप्रैल के ये दो महीनों की अनतिम तिथियों पर कोरोना वायरस के कारण जारी लॉकडाउन ने रिटायरमेण्ट के समारोहों पर ब्रेक लगा दिए। खुशी के रंगों पर कोरोना की भयावहता पसरी और उत्साह पर फीका रंग चढ़ा दिया है। लॉकडाउन और फिजिकल डिस्टेन्स के चलते गुरूवार को भी काफी कर्मचारी सादगी से सेवानिवृत्त हो गए। हां, समयानुसार उन्हें शुभकामनाएं मिली लेकिन सोशल मीडिया के माध्यम से। फोन पर। वीडियो कांफ्रेंसिंग से। ऐसे में बॉस, गुरूजन को अपने शिष्यों पर स्नेह उड़ेलने का यह अवसर हाथ से निकल जाने का मलाल रहा तो साथी कर्मचारियों को अपनी भावनाओं की अभिव्यक्ति का यह मंच न मिलने की कसक रहेगी।
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