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फलों का प्रबंधन और मूल्य संवर्धन जरूरी, ‘एंतरप्रेन्योर’ के रूप में आगे आएं युवा - कुलपति, कृषि महाविद्यालय में सात दिवसीय प्रशिक्षण प्रारम्भ





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फलों का प्रबंधन और मूल्य संवर्धन जरूरी, ‘एंतरप्रेन्योर’ के रूप में आगे आएं युवा-कुलपति
कृषि महाविद्यालय में सात दिवसीय प्रशिक्षण प्रारम्भ

बीकानेर, 4 जनवरी। राष्ट्रीय कृषि उच्च शिक्षा परियोजना के तहत ‘पोस्ट हार्वेस्टिंग मैनेंजमेंट एंड वेल्यू एडीशन आॅफ फ्रूट्स’ विषयक सात दिवसीय प्रशिक्षण शनिवार को कृषि महाविद्यालय सभागार में प्रारम्भ हुआ।
उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि कुलपति प्रो. आर. पी. सिंह थे। उन्होंने कहा कि अनेक फलों के उत्पादन में हमारा देश पहले नंबर पर है, लेकिन उत्पादन के बाद फलों का उचित प्रबंधन एवं मूल्य संवर्धन नहीं होने के कारण प्रतिवर्ष किसानों को करोड़ों रुपये का नुकसान होता है। कृषि वैज्ञानिकों को इस ओर ध्यान देना जरूरी है। उन्होंने कहा कि विद्यार्थी इस प्रशिक्षण का भरपूर लाभ उठाएं तथा मूल्य सवंर्धन के क्षेत्र में ‘एंतरप्रेन्योर’ के रूप में आगे आएं।
कुलपति ने कहा कि हमारे किसान कठोर परिश्रम करके उत्पादन के क्षेत्र में हमें आत्मनिर्भर बनाते हैं। ऐसे में उन्हें पर्याप्त लाभ मिलना भी जरूरी है। युवाओं को इस दिशा में पहल करनी होगी। युवा कृषि विद्यार्थी ‘जोब प्रोवाइडर’ बनें तथा दृढ़ संकल्प के साथ आगे आएं। उन्होंने कहा कि फलों के मूल्य संवर्धन के लिए समन्वित प्रयास जरूरी हैं।
कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता प्रो. आई. पी. सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय कृषि उच्च शिक्षा परियोजना का उद्देश्य युवाओं में आत्मनिर्भर बनाना है। विद्यार्थी इसका महत्व समझें। उन्होंने एंतरप्रेन्योर्स के लिए केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा उपलब्ध करवाए जाने वाली सुविधाओं के बारे में बताया।
परियोजना प्रभारी तथा आइएबीएम निदेशक प्रो. एन. के. शर्मा ने कहा कि उत्पादन के पश्चात् प्रबंधन क्षमता बढ़ाकर किसानों को लाभ पहुंचाया जा सकता है। मूल्य संवर्धन, मांग के अनुरूप हो। उपभोक्ताओं को मूल्य संवर्धित उत्पादों की खूबियों से अवगत करवाया जाए।
प्रशिक्षण प्रभारी डाॅ. पी. के. यादव ने बताया कि प्रशिक्षण में लगभग 50 विद्यार्थी भाग ले रहे हैं। सात दिनों में कुल 27 व्याख्यान होंगे। इसके लिए आईआरआई, सोनीपत और उदयपुर से विशेषज्ञ आएंगे। प्रशिक्षण के दौरान प्रायोगिक कार्य भी करवाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य फल तोड़ने से उपभोक्ता तक पहुंचने के अंतर को कम करना है।
कार्यक्रम का संचालन डाॅ. बृजेन्द्र त्रिपाठी ने किया। कोमल कथूरिया ने आभार जताया। इस दौरान डाॅ. राजेन्द्र सिंह राठौड़, डाॅ. दाताराम सहित प्रशिक्षणार्थी मौजूद रहे।






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