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विश्व स्तर पर ऊर्जा के नये स्रोत में बायोडीजल परम्परागत ईंधनों का एक स्वच्छ विकल्प : डॉ. मेघवंशी
ईसीबी में “एडवांसेज इन रिन्यूएबल एनर्जी” विषयक दस दिवसीय फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम का हुआ समापन
अभियांत्रिकी महाविद्यालय बीकानेर के केमिस्ट्री विभाग तथा राष्ट्रीय प्रोद्योगिकी संस्थान कुरुक्षेत्र के संयुक्त तत्वाधान में टैक्युप द्वारा प्रायोजित “एडवांसेज इन रिन्यूएबल एनर्जी” विषय पर दो सप्ताह का फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम का समापन एमजीएस यूनिवर्सिटी के डॉ मेघवंशी के आथित्य में हुआ l कार्यक्रम के संयोजक डॉ प्रवीण पुरोहित ने बताया की कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य इंजीनियरिंग तथा प्रबंधन के व्याख्याताओं तथा शोधकर्ताओं को सौर, पवन और सूक्ष्म जल विद्युत उत्पादन और अनुप्रयोगों के बुनियादी सिद्धांतों को रेखांकित करने के लिए अक्षय ऊर्जा प्रौद्योगिकियों के बारे में जानकारी देना और युवा शोधकर्ताओं को सौर ऊर्जा प्रणालियों से संबंधित चुनौतियों का सामना करने के लिए एक उपयुक्त मंच प्रदान करना है । मुख्य अतिथि डॉ मेघवंशी ने समापन पर शिक्षकों एवं छात्र-छात्राओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि वर्तमान समय में हमारे देश द्वारा उर्जा के नये श्रोतों की खोज करते हुए शोध कार्यों द्वारा नित नये प्रयोगों से उल्लेखनीय सफलता अर्जित की है जिसमे बायो डीजल का प्रयोग मुख्य है। लेकिन अब भी इसके लिए बहुत कुछ करना बाकी है। विश्व स्तर पर ऊर्जा के नये श्रोतों को खोजा जा रहा है। भारत में भी सोलर एनर्जी के क्षेत्र में बहुत कार्य हुआ है।
कार्यक्रम संयोजक डॉ. प्रवीण पुरोहित ने बताया की कार्यक्रम के अंतिम दिन टेक-स्पर्धा भी आयोजित की गयी जिसमे सौर उर्जा तथा विंड उर्जा का प्रयोग किया गया l यह एक वोर्किंग मॉडल है जिसे ईसीबी के छात्र अजय रंगा ने बनाया l इस हेतु अजय रंग को टेक-स्पर्धा में प्रथम पुरुस्कार दिया गया l वहीँ प्रीती पाण्डेय और प्रीती तिवारी ने यांत्रिक उर्जा को विद्युत उर्जा में परिवर्तित करने वाला जनरेटर बनाया l इस हेतु इन्हें द्वितीय पुरुस्कार दिया गया l
टेक्युप कोऑर्डिनेटर डॉ. ओमप्रकाश जाखड ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा की पारम्परिक ऊर्जा स्त्रोतों के स्थान पर अक्षय ऊर्जा स्त्रोतों के उपयोग की आवश्यकता व्यक्त की और कहा की अक्षय उर्जा के क्षेत्र में नए अनुसन्धान से नए स्त्रोतों से ऊर्जा के उत्पादन एवं समयानुसार विकास में मदद मिलेगी l इस तरह की एफडीपी से प्रतिभागियों को ऊर्जा के उत्पादन, भंडारण और प्रबंधन आदि से सम्बंधित जानकारी प्रदान कर आने वाली चुनौतियों से सामना करने के लिए तैयार किया जा सकता है l उन्होंने रीन्यूएबल एनर्जी के क्षेत्र में अनुसन्धान के लिए उपलब्ध विभिन्न अवसरों को भी प्रतिभागियों के सामने रखा l
इस अवसर पर संयोजक प्रवीण पुरोहित ने कहा कि आर्थिक विकास के लिए ऊर्जा संचालन आज की मेहता है अतः नवीनीकरण ऊर्जा स्रोतों का विकास प्रयोग तथा इस और दृढ़ इच्छाशक्ति का होना आज की आवश्यकता है l उन्होंने कहा की आने वाले वर्षों में हमारे परंपरागत ऊर्जा स्रोत समाप्त हो जाएंगे जिसे बनाने में लाखो वर्ष लगाए हैं उसे हम कुछ ही समय में समाप्त कर देंगे l
महाविद्यालय के डॉ मनोज कुड़ी ने अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देने के लिए महाविद्यालय द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में जानकारी देते हुए कहा की ऊर्जा किसी भी देश के विकास की रीढ़ है और पर्यावरण सम्बन्धी चुनौतियों को देखते हुए परंपरागत ऊर्जा स्रोतों के साथ-साथ अक्षय ऊर्जा स्रोतों और प्रौद्योगिकियों पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है।
कार्यक्रम का सञ्चालन डॉ. प्रवीण पुरोहित ने किया l डॉ विशाल गौड़ ने सभी प्रतिभागियों के प्रति आभार व्यक्त किया l कार्यक्रम में डॉ. ओम प्रकाश जाखड, अजय रंगा, डॉ. मनोज कुड़ी, डॉ नवीन शर्मा, डॉ प्रवीण पुरोहित, डॉ चन्द्र शेखर राजोरिया, डॉ धर्मेन्द्र सिंह, डॉ युनुस शेख, डॉ. ऋचा यादव, गरिमा प्रजापत, इंदु भूरिया, चेनाराम, मनोज सिंह शेखावत, संदीप रांकावत, रविन्द्र दायमा, देवेन्द्र गहलोत सहित कई संकाय सदस्य तथा विद्यार्थी उपस्थित थेl
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