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हमें यह धारणा तोडऩी होगी कि पुरूष महिलाओं के विकास में बाधक हैं
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हमें यह धारणा तोडऩी होगी कि पुरूष महिलाओं के विकास में बाधक हैं
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हमें यह धारणा तोडऩी होगी कि पुरूष महिलाओं के विकास में बाधक हैं
विश्व महिला दिवस के अवसर पर
जिला स्तरीय 'महिला चेतना कार्यक्रमÓ का आयोजन
यदि हमें खुद की शक्ति और कर्मशीलता पर भरोसा है तो
केवल एक दिन ही नहीं जीवन का हर पल हमारा है - डॉ. विभा बंसल
'' महिलाएं अपनी शक्ति और अपने हुनर को पहचानें। यदि हमें खुद की शक्ति और कर्मशीलता पर भरोसा है - तो केवल एक दिन ही नहीं जीवन का हर पल हमारा है। ÓÓ ये उद्बोधन जन शिक्षण संस्थान की अध्यक्ष शिक्षाविद डॉ. विभा बंसल ने बीकानेर प्रौढ़ शिक्षण समिति एवं जन शिक्षण संस्थान, बीकानेर द्वारा 08 मार्च - विश्व महिला दिवस के उपलक्ष में स्थानीय स्वर्ण जयंति सभागार में आयोजित जिला स्तरीय 'महिला चेतना कार्यक्रमÓ के मुख्य अतिथि उद्बोधन में उपस्थित महिला समूह के समक्ष व्यक्त किए। इसी क्रम में डॉ.विभा बंसल ने कहा पुरुष और स्त्री में परस्पर कोई विरोध या प्रतियोगिता नहीं होती है। ये दोनों ही सृष्टि के सृजक हैं। ये दोनों ही अपनी-अपनी क्षमताओं से इस सृष्टि को संचालित करते आए हैं। हमें यह धारणा तोडऩी होगी कि पुरूष महिलाओं के विकास में बाधक हैं। आज हर सफल महिला को देखें तो साफ पता चलता है कि उसके विकास की राह में पिता, पति, भाई आदि सबका पूरा सहयोग रहा है। साथ ही डॉ. बंसल ने कहा कि महिलाओं को समय की मांग को पहचान कर अपने हुनर और अपनी क्षमताओं को निरंतर परिष्कृत करते रहना चाहिए। हम महिलाएं अपनी क्षमताओं के प्रति सजग नहीं हैं । इसलिए अपनी शक्ति को पहचानें और कर्मशील बनें। अध्यक्षीय उद्बोधन में बीकानेर प्रौढ़ शिक्षण समिति के अध्यक्ष प्रख्यात लोककला मर्मज्ञ डॉ. श्रीलाल मोहता ने कहा कि कोई भी महात्मा जन्म से महात्मा नहीं बनता। उसे 'महात्माÓ बनाने में महिला शक्ति का ही योगदान होता है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी भी प्राय: यह कहते थे कि आपका ये गांधी बिना कस्तुर 'बाÓ के सहयोग के कभी भी 'गांधीÓ नहीं बन पाता। इसी के साथ डॉ. मोहता ने कहा कि आज का युग आर्थिक उन्नति का युग है। इस युग में आश्चर्य की बात यह है कि बाजार के अधिकतर उत्पाद तो महिला-शक्ति द्वारा प्रचारित किए जाते हैं, लेकिन महिला स्वयं आर्थिक रूप से स्वावलंबी नहीं हैं। इसलिए महिलाएं खुद को कभी-भी पुरुषों से कमतर नहीं मानें और शैक्षिक, आर्थिक, राजनीतिक आदि हर दृष्टि से स्वावलंबी बनने का हर सम्भव प्रयास करें। इस अवसर पर जन शिक्षण संस्थान के उपाध्यक्ष अविनाश भार्गव ने कहा कि यदि समाज और राष्ट्र का विकास करना है तो पहले हमें महिला-शक्ति का विकास करना होगा। इसके साथ ही श्रीभार्गव ने प्रौढ़ शिक्षा केन्द्रों के माध्यम से किए गए सतत शिक्षा कार्यक्रमों के अनुभवों को बांटते हुए समाज में महिला शिक्षा के बढ़ते प्रतिशत को राष्ट्र-विकास के लिए सकारात्मक बताया। कार्यक्रम में आगंतुकों का स्वागत करते हुए जन शिक्षण संस्थान,बीकानेर के निदेशक रामलाल सोनी ने कहा कि आज के दिन से महिलाएं अपने अस्तित्व निर्माण का संकल्प लेंवे। कार्यक्रम में अपनी बात के सत्र में उपस्थित महिला समूह की ओर से काजल भाटी, राखि राजावत, ममता, नूरजहां, लक्ष्मीविष्ट, संजना, महिमा गहलोत, अजमेरा आदि ने महिलाओं को हूनर सीखकर अपनी पहचान बनाने और समाज के विकास में अपना योगदान देने के संबंध में अपने विचारों की ओजस्वी अभिव्यक्तियां देकर 'महिला चेतना कार्यक्रमÓ को सार्थक कर दिया। कार्यक्रम का प्रारंभ मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष माल्यार्पण कर किया गया। इस अवसर पर ''हे शारदे! माँ... ÓÓ वंदना गीत का सामूहिक गायन भी किया गया। कार्यक्रम का प्रभावी संयोजन संस्थान के कार्यक्रम अधिकारी श्री महेश उपाध्याय ने किया। इस जिला स्तरीय सम्मेलन में समिति एवं संस्थान की अनुदेशिकाओं - सुरजमुखी खडग़ावत, वहिदा खातून, हरिया तंवर, खुशबू शेख, जयश्री गहलोत, सलोनी, बसंती उपाध्याय, भुवनेश्वरी, गीता प्रजापत, फातमा बानो, ऋषिराज जोशी सहित शहरी क्षेत्र की कच्ची बस्तियों महिलाओं-किशोरियों सहित संस्थान परिवार के उमाशंकर आचार्य, लक्ष्मीनारायण चूरा, तलत रियाज, श्रीमोहन आचार्य, राजकुमार शर्मा, विष्णुदत मारू आदि की सक्रिय सहभागिता रही। कार्यक्रम के अंत में समिति के संस्थान के कार्यालय प्रबंधक श्री ओमप्रकाश सुथार ने आगंतुकों के प्रति आभार व्यक्त किया।
Hi there! This post couldn't be written much better! Going through this post
ReplyDeletereminds me of my previous roommate! He always kept
talking about this. I'll forward this post
to him. Fairly certain he will have a good read. I appreciate you for
sharing!
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