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विश्व श्रवण दिवस पर नापासर में लगाया कान जांच शिविर
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. ✍️ *फोटो लॉन* 📷🎬📸☑️*********🙏👍🙏 खबरों में बीकानेर 🎤 🌐 ✍️ ... 👇👇👇👇👇👇👇3 मार्च 2019
विश्व श्रवण दिवस पर नापासर में लगाया कान जांच शिविर
बीकानेर 3 मार्च 2019 । स्वास्थ्य विभाग द्वारा रविवार को विश्व श्रवण दिवस पर जन सहयोग से जांच शिविर आयोजित किया गया। शिविर में 200 से अधिक व्यक्तियों की कर्ण स्वास्थ्य जांच की गई। शिविर में राष्ट्रीय बहरापन नियंत्रण एवं रोकथाम कार्यक्रम के अंतर्गत ऑडियोलॉजिस्ट मोहित ओझा, इंस्ट्रक्टर संदीप जोशी व ऑडियोमेट्रिक असिस्टेंट राजेंद्र खदाव ने सेवाएं दी। सीएमएचओ डॉ. बी. एल. मीणा ने बताया कि कान शरीर का एक नाजुक अंग है इसमें कुछ भी डालना या नुकीली चीज से साफ करना बहुत महँगा पड़ सकता है इसलिए कान के प्रति लापरवाही न बरतें। उन्होंने बताया कि श्रवण क्षमता को बनाए रखने के लिए कान को हमेशा सूखा रखना, गंदे पानी में नहीं नहाना, कान में तेल या पानी नहीं डालना, ध्वनि प्रदूषण से बचना, गर्भावस्था में विशेष खयाल व पूर्ण टीकाकरण जैसी सावधानियां जरूरी हैं। मोहित ओझा ने बताया कि जो जन्म से बहरापन का शिकार होते हैं वे भाषा विकास ना होने की वजह से बोल भी नहीं पाते हैं इसलिए जन्म के समय नवजात शिशु के व्यवहार व प्रतिक्रियाओं पर पूरा ध्यान देना चाहिए और बहरापन के लक्षण होने पर तुरंत जांच। बहरापन कोई उम्र विशेष के लिए नहीं है और ना ही लाईलाज है।
विश्व श्रवण दिवस पर नापासर में लगाया कान जांच शिविर
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विश्व श्रवण दिवस पर नापासर में लगाया कान जांच शिविर
बीकानेर 3 मार्च 2019 । स्वास्थ्य विभाग द्वारा रविवार को विश्व श्रवण दिवस पर जन सहयोग से जांच शिविर आयोजित किया गया। शिविर में 200 से अधिक व्यक्तियों की कर्ण स्वास्थ्य जांच की गई। शिविर में राष्ट्रीय बहरापन नियंत्रण एवं रोकथाम कार्यक्रम के अंतर्गत ऑडियोलॉजिस्ट मोहित ओझा, इंस्ट्रक्टर संदीप जोशी व ऑडियोमेट्रिक असिस्टेंट राजेंद्र खदाव ने सेवाएं दी। सीएमएचओ डॉ. बी. एल. मीणा ने बताया कि कान शरीर का एक नाजुक अंग है इसमें कुछ भी डालना या नुकीली चीज से साफ करना बहुत महँगा पड़ सकता है इसलिए कान के प्रति लापरवाही न बरतें। उन्होंने बताया कि श्रवण क्षमता को बनाए रखने के लिए कान को हमेशा सूखा रखना, गंदे पानी में नहीं नहाना, कान में तेल या पानी नहीं डालना, ध्वनि प्रदूषण से बचना, गर्भावस्था में विशेष खयाल व पूर्ण टीकाकरण जैसी सावधानियां जरूरी हैं। मोहित ओझा ने बताया कि जो जन्म से बहरापन का शिकार होते हैं वे भाषा विकास ना होने की वजह से बोल भी नहीं पाते हैं इसलिए जन्म के समय नवजात शिशु के व्यवहार व प्रतिक्रियाओं पर पूरा ध्यान देना चाहिए और बहरापन के लक्षण होने पर तुरंत जांच। बहरापन कोई उम्र विशेष के लिए नहीं है और ना ही लाईलाज है।
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