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दूल्हाभट्टी की यादें, लाल लोई के रंग... बधाइयां गाईं

दूल्हाभट्टी की यादें, लाल लोई के रंग... बधाइयां गाईं

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दूल्हाभट्टी की यादें, लाल लोई के रंग... बधाइयां गाईं

लाल मुहिंजी पत रखन्जें भला...  हां मां सिन्धी आयां... ( सिंधी समाज ने लाल लोई और तिरमूरी मनाई )

बीकानेर । गुरु गोविंद सिंह जयंती, लोहिड़ी पर्व, सिंधी समाज का लाल लोई, तिरमूरी और केरल समाज का भगवान अयप्पा मंदिरों में मकर विलक्कू पर्व मनाया गया। लाल लोई पर रथखाना, धोबीतलाई, शार्दुल कॉलोनी, पवनपुरी, व्यास कालोनी, सुदर्शनानगर - बल्लभ गार्डन आदि क्षेत्रों में सिंधी परिवारों ने सिंधु-संस्कृति की परंपरा के अनुसार दान-पुण्य किया । सैण-सजण, गुर-महाराज, झूलेलाल जी के मंदिरों और बेटियों के यहां *तिरमूरी* मिश्रित 'ताम' ( गुड़-तिल-मूली सहित व्यंजन-पकवान ) भेंट किए गए।  घर-आंगन तथा कालोनी चौक में बधाइयां गाईं और सामूहिक रूप से 'धूणो-धुका'  कर सिंधी सांस्कृतिक लोकगीतों और भजनों से समा बांधा तथा बच्चों को सिंधु संस्कृति एवं पर्व त्योहारों की महत्ता बताकर अपनी अबाणी बोली सिंधी बोली व सिंधीयत के संरक्षण-संवर्धन का संकल्प दोहराया।
बच्चों ने भी  मुहिंजी बेड़ी अथई विच सिर ते... , लाल मुहिंजी पत रखन्जा... , हां मां सिन्धी आयां... आदि गीतों की प्रस्तुति दी। हर प्रस्तुति पर समाजजन थिरक उठे।  शार्दुल कॉलोनी में लक्ष्मी नृसिंह भगवान मंदिर व विश्वास वाचनालय की ओर से जजमानों को "सिंधी डिण" लाल लोई के बारे में जानकारी दी गई । दूसरी ओर, गुरु गोविंद सिंह जयंती - लोहिड़ी पर गुरुद्वारों में सुबह दीवान सजाए गए । गली मोहल्लों में बच्चों ने लोहिड़ी लोहिड़ी लकड़ी जीवे थारी बकरी... आदि मन लुभावने गीत गाकर घर घर से चंदे में  लकड़ियां थेपड़ियां व नकद राशि जमा की और लोहिड़ी जलाकर रेवड़ी मूंगफली का प्रसाद बांटा। शाम गहराने पर घरों व गुरुद्वारों के बाहर लोहिड़ी प्रज्वलित कर सिख समाज के लोगों ने ढोल की थाप पर भांगड़ा कर खुशियां मनाई । पंजाबी लोकगीतों के माध्यम से दूल्हाभट्टी को याद किया गया जो अमीरों से धन लूटकर गरीबों में बांट देता था।
खतूरिया कालोनी और व्यास कलोनी में केरल समाज के लोगों ने भगवान अयप्पा के जन्मोत्सव पर मंदिरों को सजाया व विशेष पूजा अर्चना कर मकर विलक्कू उत्सव के तहत सूर्यास्त बाद परंपरानुसार तिल के तेल की मशालें जलाई।


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