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उन्नीसवीं शताब्दी में झांसी की रानी ब्रितानी राज के प्रतिरोध में अग्रणी भारतीय महिला रहीं : डॉ. मेघना शर्मा

उन्नीसवीं शताब्दी में झांसी की रानी ब्रितानी राज के प्रतिरोध में अग्रणी भारतीय महिला रहीं  : डॉ. मेघना शर्मा  

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उन्नीसवीं शताब्दी में झांसी की रानी ब्रितानी राज के प्रतिरोध में अग्रणी भारतीय महिला रहीं  : डॉ. मेघना शर्मा  


मालवा-मध्य प्रदेश में सीतामऊ के श्री नटनागर शोध संस्थान द्वारा "भारत पर विदेशी आक्रमण और उनका प्रतिरोध" विषय पर आधारित त्रिदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के तकनीकी सत्र में बोलते हुए एमजीएसयू बीकानेर के सेंटर फॉर वीमेन्स स्टडीज़ की डायरेक्टर व इतिहास विषय की संकाय सदस्य डाॅ. मेघना शर्मा ने "द हिस्ट्री ऑफ वीमेन्स रेसिसटेंस टुवर्ड्स ब्रिट्रिश राज विद स्पैशल रेफरेंस टू द क्वीन ऑफ झांसी" पर पत्रवाचन करते हुए कहा कि 1857 के दौर से पहले और बाद तक भारतीय महिलाओं ने बाहरी आक्रमणकारियों से जमकर लोहा लिया जिनमें झांसी की रानी लक्ष्मीबाई अग्रणी कही जा सकती हैं। 
   इससे पूर्व उद्घाटन समारोह में इंडियन काउंसिल ऑफ वर्ल्ड अफेयर्स,  नई दिल्ली के महानिदेशक डाॅ. टी. सी. ए. राघवन ने कहा कि वर्तमान में भारत प्रायद्वीपीय देश नहीं है, अतः हमें वर्तमानकालीन आर्थिक आक्रमणों के समझते हुए सशक्त प्रतिरोध की नीति का निर्धारण करना चाहिए। देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इंदौर के कुलपति डाॅ. नरेद्र कुमार धाकड़ ने मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए संग्रहित ग्रंथों के डिजिटलीकरण की आवश्यकता पर बल दिया। 
भारतीय प्रौढ़ शिक्षा संघ के अध्यक्ष एवं इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट आॅफ एडल्ट एंड लाइफलांग एजुकेशन के कुलाधिपति डाॅ. कैलाशचंद्र चौधरी ने विशिष्ट अतिथि के रूप में कहा कि मध्य काल में बाहर आक्रमणों के प्रतिरोध स्वरूप आम जन का राज्य के साथ नहीं जुड़ना हमारे देश की सुरक्षा व्यवस्था की कमज़ोरी रही। 
डीन आॅफ स्टूडेंट्स, इंटरहाॅल एडमिनिस्ट्रेशन, जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के प्रो. उमेश अशोक कदम ने मुख्य वक्ता के रूप में भारतीय इतिहास के पुनर्लेखन की आवश्यकता बताते हुए कहा कि बाहरी आक्रमणों के समय देश में हुए सशक्त प्रतिरोध को रेखांकित करने के लिए पूरे देश में प्रामाणिक स्थानीय स्त्रोतों व इतिहास को आधार बनाना चाहिए । 
नटनागर शोध संस्थान के अध्यक्ष श्री पुरंजयसिंह राठौड़ ने आगंतुकों ने सलामत भाषण पढ़ा व सचिव डाॅ. मनोहर सिंह राणावत ने संस्थान की गतिविधियों की रिपोर्ट मंच से प्रस्तुत की। लब्ध प्रतिष्ठित इतिहासकार, उदयपुर के प्रो.के. एस. गुप्त को इस वर्ष का प्रतिष्ठित डाॅ. रघुबीरसिंह राष्ट्रीय पुरस्कार-2018 देकर अतिथियों द्वारा सम्मानित किया गया। उद्घाटन समारोह का संयोजन बीकानेर की शिक्षाविद एवं इतिहासकार डाॅ. मेघना शर्मा द्वारा किया गया।  





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