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OMG... और यूं... रेल बाईपास की बहिन बन गई एलिवेटेड रोड

*खबरों में बीकानेर 🎤*
रेल-बाईपास की बहिन बन गई एलिवेटेड रोड
. ✍️ मोहन थानवी
बीकानेर। आजकल एलिवेटेड रोड चर्चा में है। कभी रेल बाइपास का मुद्दा गरमाया रहता था। ऐसे तो बीकानेर में कोई न कोई मुद्दा गरमाया ही रहता आया है। सूरसागर अब फिर चर्चा में आ चुका है।. इस बार सुंदरता के लिए । बात एलिवेटेड रोड की करें । एलिवेटेड रोड अब रेल बाईपास की बहन बन चुकी है । वजह, न्यायालय ने भी रोक लगा दी है। रेल बाईपास की तरह ही एलिवेटेड रोड पर भी बीकानेर एकमत नहीं है।  एकमत नहीं होने के पीछे आमजन राजनीति को मानता है । राजनीति के हाईवे पर यह रेल लाइन रेल बाईपास और एलिवेटेड रोड धीमी गति से चलने वाले कछुए से भी मात खा चुके हैं।  बीकानेर में रोजाना लोगों के कई घंटे रेल फाटकों पर निछावर हो जाते हैं । समाधान की किसी राह पर कोई भी सहमत नहीं है । सबकी अपनी-अपनी राय ।कोई कुछ कहता है कोई कुछ और  कहता है।  बीकानेर का आमजन अब साफ साफ कहने लगा है, रेलवे क्रासिंग ने बीकानेर को दो फाड़ कर दिया है। विडम्बना है कि बीते दशकों से बीकानेरियन के  प्रतिदिन रेलवे क्रासिंग पर जितने घंटे अटक जाने से बर्बाद होते रहे हैं । लेकिन उतने घंटे जिला प्रशासन, रेलवे प्रशासन, राज्य सरकार, प्रमुख राजनीतिक पार्टियों के नुमाइन्दों में से किसी ने इस समस्या के निवारण के लिए किसी एक दिन भी गंभीरता से प्रयास तक नहीं किए। हां, किसी ने प्रयास किए भी तो दूसरों ने टांग खिंचाई कर योजनाओं को ठंडे बस्ते में पहुंचाने में शर्म महसूस नहीं की।   मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने सादुल क्लब मैदान पर हेलमेट वितरण कार्यक्रम में साफ-साफ कहा  कि बीकानेर में आप लोग ही  उसे बनने नहीं दे रहे । एलिवेटेड रोड के बारे में बात थी  और समाधान के रूप में मुख्यमंत्री ने  पासा  नेताओं के पाले में डाल दिया। दरअसल शहर को विभक्त करती रेललाइन की ज्यों ज्यों समस्या बढ़ती गई त्यों त्यों नए नए शोशे छोड़े जाने लगे। रेलबाइपास का मुद्दा केन्द्रीय मंत्रियों की मंत्रणा में भी शामिल रहा।  परिणामस्वरूप आज बीकानेर के प्रमुख बाजार एलिवेटेड रोड  से बचने के लिए और आमजन समस्या से निजात पाने के लिए संघर्ष कर रह हैं।

आपको याद ही होगा जब पूर्व विधायक रामकिशन दास गुप्ता ने आमजन के सहयोग से बीकानेर से लालगढ़ तक बड़ी रेललाइन बिछाने का विरोध किया था।  मगर तत्कालीन प्रदेश और देश स्तर के नेताओं ने जनता को आश्वस्त किया कि समस्या का समाधान रेल बाईपास के रूप में होगा। आश्वासन ठंडे बस्ते में चले गए। एक पार्टी गद्दी से उतरी तो दूसरी काबिज हुई मगर किसी को श्रेय न मिले इस भावना से योजनाओं तक को पलट दिया गया। स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने भी अपने अपने आलाकमान की पॉलिसी को फालो ही किया।
  ‘‘जून 14 में बीकानेर आई सरकार ने भी कोटगेट रेलवे क्रॉसिंग के मुद्दे पर एक्सपर्ट से सलाह-मशविरा किया था लेकिन  कोई निर्णय लेने से परहेज रखा। और हाल ही में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की दो दिवसीय गौरव यात्रा के दौरान तो एलिवेटेड रोड़ छुआछूत का शिकार रहा। रेल फाटकों से गुजरने वाले बीकानेरियन के प्रतिदिन लगभग 20 बार जाम में अटकने की ज्वलंत समस्या के समाधान की कोई राह नहीं निकाली गई। 
याद करें 2003 । वसुंधरा सरकार ने सांखला रेलवे क्रासिंग पर एलीवेटेड रोड को स्वीकृति दी थी लेकिन फिर सो गई। 2012 में तत्कालीन कांग्रेस  सरकार ने कोटगेट रेलवे क्रॉसिंग पर आरओबी को मंजूरी दी और वित्तीय स्वीकृति भी जारी की गई लेकिन  बजट नहीं मिल सका। 
रेलवे ने 2006 में सांखला फाटक को फिजिबल मानते हुए रेल बाईपास को नकार दिया था। एलीवेटेड रोड पर सहमत होने के  बाद रेलवे ने आरयूआईडीपी को बाईपास की एवज में लिए गए एक करोड़ रुपए में से 90 लाख रुपए लौटा दिए थे।’’

बीत गया वो सपना...

 जिस समस्या का समाधान राज्य के मुख्यमंत्री रहे भाजपा के नेता भैंरूसिंह शेखावत और कांग्रेस के नेता तत्कालीन रेल मंत्री जाफर शरीफ ने मौका देखते हुए  बरसों पहले सुझाया  तथा राज्य सरकार द्वारा रेलवे को निःशुल्क भूमि आवंटन करने की कोशिशें शुरू कर दी गई, उसी सुझाव को  अमली जामा न पहनाने की बदनीयती  जाहिर  होते होते आज गहरे अंधे कुएं के समान बाधाएं सामने ला रही है। कौतूहल उन्हें तो होता नहीं होगा जो साफ नीयत का नया उद्घोष ईजाद कर लाए हैं। अचरज बिल्कुल नहीं होगा जब राजनीति की सड़क पर सरपट दौड़ लगाते नेता चुनाव के दौरान किए गए लुभावने वादों को भुला दिए जाने के क्रम में बीकानेर को बीचोंबीच से विभक्त करने वाली रेललाइन की समस्या के समाधान के वादों को भी विस्मृति के सागर में डुबो दें।

चुनाव तब भी हुए थे, अब भी होंगे

 उद्यमी और जनता कहने से नहीं चूकती कि भाजपा का शासन तब भी था और आज भी है, चुनाव तब भी हुए थे, अब भी होंगे। आज जनता राजनेताओं से पूछ रही है बीकानेर में पले-बढ़े किसी भी पार्टी के लोग क्या इस रेलवे क्रासिंग की समस्या से अछूते-अनजान हैं ?  फिर क्यों एलिवेटेड रोड को समस्या का समाधान मानने और मनवाने अथवा किन्हीं और कारणों की बयानगी पर अड़े हैं?  जनता समझती सब है लेकिन असमंजस में भी है कि बीकानेर रेलवे क्रॉसिंग की समस्या का समाधान के लिए सत्ता रेल बाईपास निर्माण से क्यों पलट गई?   देखना यह है कि इस लोकातांत्रिक देश में सच्चाई और वास्तविकता के साथ कांग्रेस व भाजपा खड़ी होती है या नहीं? 
-  ✍️ मोहन थानवी

युगपक्ष 12/9/18

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