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अंगूर खट्टे क्यों ?

*खबरों बीकानेर* /
अंगूर खट्टे क्यों ? ( मोहन थानवी )
भारत के लोगों ने अपने अनुभवों से अंगूरों का मीठा या खट्टा होना तो जान लिया और कहावतों सहित अन्य विधाओं-शैलियों से साझा भी किया।  किंतु खटास को मिठास में बदलने का गुर आम लोगों से दूर और खास लोगों के पास तक रखा। यही वजह आम लोगों के लिए भ्रष्टाचार का एकमात्र मार्ग खास लोगों ने बनानी शुरू की तो खुद भी उसकी जद में आ गए। क्योंकि आम और खास होना वक्त और जरूरत तय करती है। सच । हमारे देश में सरकार ने सभी वर्गों के उत्थान के लिए कई योजनाएं चलाई; उत्थान तो हुआ मगर एक पीढ़ी को लाभ मिला जबकि नई पीढ़ी के युवा होते होते समस्याएं विस्तार ही लेती दिखती हैं। आज स्थिति यह है कि हर वर्ग को आम बनकर कागजी कार्रवाई में ही उनझे रहने की विवशता झेलनी पड़ रही है। आरक्षण का मुद्दा खत्म होने का ओर है न छोर। आय आधारित सुविधाओं को भोगने वालों की सँख्या का क्रास एक्जामिन किया जाए तो आंकड़े अचम्भित करेंगे। आधार कार्ड; जिसे अनिवार्यता की श्रेणी प्रदान की जा रही है; वह कार्ड तक सभी आम लोगों की जेब में नहीं है। इसके कारण ढूंढ़ेंगे तो जटिल कागजी प्रक्रिया सामने आ ही जाएगी। आधार कार्ड बनवाने के लिए भी कुछ जरूरी - वांछित कागजों की दरकार रहती है। फिर केवल आधार से काम नहीं चलता। भामाशाह; बीपीएल वगैरह वगैरह के कागज भी होने चाहिए। सबकुछ कागज हैं और किसी एक में कागज बनाने वाले कर्मचारी या मानवीय भूल या परंपराओं के कारण स्पेलिंग; जन्म तारीख; शिक्षा आदि में फर्क/अंतर दर्ज हो गया है तो  उसे सुधरवाने की प्रक्रिया भी आसान नहीं है। यहां तक कि सब कागज सही हैं तो भामाशाह या पेंशन या खाद्यान्न योजनाओं का लाभ पाने के लिए इन कागजों का फिजीकल एक्टिवेशन होना चाहिए वरना ये कागज किसी काम के नहीं । हद है  यह सब आम लोगों के लिए।  और इन प्रक्रियाओं को जानने; समझने और पूरा कर या करवा सकने वाला यहां खास हो जाता है। ऐसे खट्टे अंगूरों को मीठा बनाने के लिए कहीं खास लोगों को देने के लिए शुल्क निर्धारित है तो कहीं खास की ओर से शुल्क मांग लिया जाता है । भारत में आर्थिक और रोजगार; शिक्षा आदि क्षेत्रों की अनवरत चलती और बढ़ती समस्याओं के मूल में  कहीं ऐसे कारण ही तो नहीं जिनकी वजह से वांछित संख्या में पात्र लोग लाभान्वित होने से वंचित रह जाते हों और ऐसे लोगों के परिवारों की नई पीढ़ी फिर पुरानी समस्या को जीवित कर देती है? बालिका जन्म पर सरकार कुछ धन राशि के शिक्षित और वयस्क होने तक के लिए प्रदान करती है और बालिका कल्याणार्थ इस योजना की प्रक्रिया जटिल नहीं है; यह सुखद है। मैं बालिकाओं की इसी योजना की तर्ज पर अन्यान्य योजनाओं की प्रक्रिया को लागू करने की राय व्यक्त करता हूं। क्योंकि; अंगूर की बेल की जड़ों को ही डीएनए बदल कर मीठा बना दिया जाए तो बेल पर लगने वाले अंगूर खट्टे नहीं हो सकते। - मोहन थानवी
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