अनचाहे किया जाने वाला कोई काम पूर्णता को प्राप्त नहीं हो सकता। कोई न कोई कसर रह ही जाती है। हां, शनै शनै कार्य का आनंद आने पर यदि कर्ता अनचाहे शुरू किए गए कार्य से दिल लगा लेता है तो उसे शिखर छूने का अवसर भी मिल जाता है। महापुरुषों से संबंधित बहुत से ऐसे उदाहरण हम आप गाहेबगाहे पढ़ चुके हैं। ख्याति-सीमा के मध्यनजर भी बहुत सी शख्सियतों के ऐसे वक्तव्य पत्र पत्रिकाओं में पढ़ने को मिल जाते हैं। इसीलिए अनुभवी, ज्ञानी, बुजुग कहते हैं कि काम कोई भी हो, मन लगा कर, आनंद लेकर, काम को पूजा मान कर करने वाले को सफल होने से कोई रोक नहीं सकता। अनचाहे, अनमना हो कर कोई काम शुरू कर ही दिया हो तो उसे अभी से आनंदित होकर कीजिए। काम अनचाहा नहीं रहेगा, आप भी स्वयं को अनमना नहीं पाएंगे। तय है। जय हो।
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