... सौदा कर नफा हो   

अनोखे काम करने वाले को प्रसिद्धि मिलती है लेकिन ऐसे ‘‘अनोखे लाल’’ बहुत कम होते हैं। कम ही जगहों पर होते हैं। लेकिन सामाजिक जीवन में ही नहीं बल्कि हर क्षेत्र में एक बात बहुत ही विश्वास के साथ कही जाती है, भला कर भला हो । साधु संत या फकीर ही नहीं बल्कि साधारण गृहस्थ भी इस मंत्र को मानता और जपता है। सभी इसे क्रियान्वित भी करते हैं। जमाना आधुनिक है तो विचारों में भी नयापन आना ही है सो भला कर भला हो के साथ कहा जाने लगा सौदा कर नफा हो। यह कोई ताना मार कर कही जाने वाली बात नहीं बल्कि हकीकत की तरफ इशारा है। कहते हैं हर बात के एकाधिक अर्थ होते हैं। कभी किसी फकीर ने इसका मर्म समझा और कहा। क्योंकि जब भला करने पर भी भले की चाह हो तो इसे सर्वशक्तिमान से सौदा नहीं माना जाएगा क्या ! दूसरे अर्थ में व्यापारिक सौदे में भला करने से तो नफा हाथ आएगा नहीं लेकिन भलेमन यानी ईमानदारी से सौदा करने वाला नफे से वंचित भी नहीं रहता।