-जातिगत छुआछूत और सामाजिक विषमता समाज के विकास में बाधक - डॉ.पाठक
जातिगत छुआछूत और सामाजिक विषमता समाज के विकास में बाधक - डॉ.पाठक
बीकानेर 25 सितम्बर। अस्पृश्यता से बड़ा कोई अपराध नहीं, पाप नहीं, समाज में सभी समान है, कोई भी जाति धर्म के आधार पर न छोटी है ना बडी, सामाजिक समरसता के बिना समाज कभी भी एक स्वस्थ और समृद्ध समाज नहीं बनता यह विचार श्री जैन आदर्श शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय में सामाजिक समरसता पखवाड़ा कार्यक्रम के अंतर्गत शिक्षाविद एवं अखिल भारतीय साहित्य परिषद जोधपुर प्रांत के अध्यक्ष डॉ.अखिलानंद पाठक ने शिक्षक प्रशिक्षण संस्थान में प्रशिक्षण शिक्षकों के बीच कही। उन्होंने कहा कि हमारा समाज जाति, धर्म, लिंग भाषा के आधार पर बंटा हुआ है। आजादी के 75 साल बाद भी गांव में हमारे मंदिर, हमारे पानी पीने के स्थान, हमारे शमशान अलग-अलग जातियों के हिसाब से बने हुए हैं ऐसी स्थिति में हिंदू समाज कैसे समृद्ध हो सकता है ? आवश्यकता है हम सभी को मिलजुल कर सामाजिक और आर्थिक विषमता को दूर करके एक सभ्रांत समाज की स्थापना करें, तभी भारत एक समृद्ध देश बन पाएगा जहां पर सभी को समान सामाजिक अधिकार प्राप्त होंगे। इसके लिए नई पीढ़ी को आगे आना होगा। हालांकि आजादी के बाद सामाजिक आंदोलन ने शहर और गांव में इस दिशा में लोगों के बीच चेतना फैलाने का काम किया है जिससे जातिगत विषमता दूर भी हुई है। लेकिन आज भी कहीं ना कहीं दलित वंचित वर्ग को घोड़ी से उतारने, मंदिर में प्रवेश नहीं करने की घटना दुर्घटना हो जाती है वह भी बंद होनी चाहिए। इस दिशा में सरकार द्वारा किए गए कानूनी प्रावधान असर ला रहे हैं। हमें सनातन संस्कृति को मजबूत करने के लिए हिंदू समाज को एकत्र कर संगठित करना होगा, फिर से एक ऐसे सुंदर समाज की स्थापना करनी होगी जहां सब कुछ सबके लिए हो सभी को समान अधिकार सभी को बराबर सम्मान प्राप्त हो। छात्र-छात्राओं ने इस विचार संगोष्ठी में भाग लिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए महाविद्यालय प्राचार्य डॉ.राजेंद्रसिंह माली ने सर्वधर्म समभाव की बात रखते हुए सभी भाइयों को धर्म-देश के प्रति जागरूक किया। इस अवसर पर संस्थान के सभी प्रशिक्षणार्थी शिक्षकगण उपस्थित रहे।
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