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राजस्थान : चालीस साल पुरानी व्यवस्था हुई समाप्त मंडी प्रांगण के बाहर वन उत्पादों पर नहीं लगेगा कृषि मंडी शुल्क -वन उत्पादों के व्यापार से जुड़े व्यापारियों को मिली राहत

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राजस्थान : चालीस साल पुरानी व्यवस्था हुई समाप्त
मंडी प्रांगण के बाहर वन उत्पादों पर नहीं लगेगा कृषि मंडी शुल्क
-वन उत्पादों के व्यापार से जुड़े व्यापारियों को मिली राहत


जयपुर, 16 जून। कृषि उपज मंडी समिति प्रांगण के बाहर तेंदू पत्ता, काष्ठ और अकाष्ठ सहित सभी वन उत्पादों पर कृषि मंडी शुल्क और कृषि कल्याण शुल्क अब नहीं वसूला जाएगा। इसके लिए वन विभाग और कृषि विभाग द्वारा बातचीत के बाद सक्षम स्तर पर निर्णय लिया गया है। इस निर्णय के बाद राज्य में पिछले 30-40 वषोर्ं से चली आ रही व्यवस्था समाप्त हो जाएगी।

प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन-बल प्रमुख) श्रीमती श्रुति शर्मा ने बताया कि वन विभाग द्वारा तेंदू पत्ता, काष्ठ और अकाष्ठ वन उपजों के व्यापार से जुड़े व्यापारियों की मांग को ध्यान में रखते हुए राज्य के मंडी प्रांगणों के बाहर इन उत्पादों को कृषि मंडी शुल्क/कृषक कल्याण फीस की वसूली से मुक्त कर दिया गया है। इस संबंध में वन विभाग की ओर से कृषि विभाग को प्रस्ताव भिजवाया गया था। दोनों विभागों द्वारा सक्षम स्तर पर निर्णय के बाद राजस्थान कृषि उपज मंडी अधिनियम की धारा 17 में दिनांक 14 सितम्बर 2020 से संशोधन उपरांत राज्य के मंडी प्रांगण के बाहर विज्ञप्त कृषि जिंसों तथा उत्पादों (जिसके अंतर्गत तेंदू, पत्ता, काष्ठ, अकाष्ठ वन उपज सम्मिलित हैं) के विपणन पर कृषि मंडी शुल्क या कृषक कल्याण फीस नहीं वसूली जाएगी।

उन्होंने बताया कि उक्त संशोधन के बाद इस संबंध में विभागीय विपणन व्यवस्था से तेंदू पत्ता, काष्ठ और अकाष्ठ के व्यापार से जुड़े व्यापारियों द्वारा यदि कहीं कृषि मंडी शुल्क/कृषक कल्याण फीस का भुगतान किया गया है तो वे दी गई शुल्क/फीस राशि को संबंधित मंडी से प्राप्त कर सकेंगे।

अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक (उत्पादन) श्री आनंद मोहन ने बताया कि इससे वन उत्पादों के व्यापार से जुड़े व्यापारियों को बड़ी राहत मिलेगी। इस निर्णय को प्रभावी करने में वन विभाग की प्रमुख शासन सचिव श्रीमती श्रेया गुहा, शासन सचिव महोदय और प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन-बल प्रमुख) श्रीमती श्रुति शर्मा की महत्वपूर्ण भूमिका रही।


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