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हाय कोरोना : चमोली में रविवार को द्रोणागिरी ग्लेशियर के फटने की एक अहम वजह कोरोना का असर भी माना जा रहा ?

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 📝   ✍️ कोरोना के असर से फटा
द्रोणागिरि ग्लेशियर  ?

देहरादून । उत्तराखंड के
चमोली में रविवार को द्रोणागिरी ग्लेशियर
के फटने की एक अहम वजह कोरोना
का असर भी माना जा रहा है। दरअसल
विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना के
चलते लगे लॉकडाउन से जलवायु में
परिवर्तन आया और ऊपरी वातावरण
इतना साफ हो गया कि ग्लेशियर पर जमी
बर्फ धीरे-धीरे पिघलने की बजाय बहुत
तेजी से पिघली और हिमनद फट गया।
ग्लेशियरों पर नजर रखने वाले विशेषज्ञों
का कहना है कि आने वाले समय में भी
ऐसे खतरों के बने रहने की आशंका है।
भारतीय मौसम विज्ञान सोसाइटी
में उत्तर भारत के चेयरपर्सन और वरिष्ठ
मौसम वैज्ञानिक डॉ. एसपी भारद्वाज
कहते हैं कि उत्तराखंड के चमोली में
रविवार को ग्लेशियर के फटने की बहुत-
सी वजह हो सकती है। इसका कारण
पता किया जाएगा, लेकिन प्रथम दृष्टया
आकलन है कि सूरज की ज्यादा तपिश
के चलते ग्लेशियर की बर्फ न सिर्फ
बहुत तेजी से पिघली बल्कि ग्लेशियर के
ऊपरी हिस्से में जमी बर्फ ज्यादा होने के
चलते खिसकी। जिससे हिमनदों के
निचले हिस्से में जमें पानी के स्रोत टूट
गए और तीव्र गति से पास की धौलगंगा
नदी में बह गए। 
अभी प्रदूषण नहीं के बराबर
वैज्ञानिकों का कहना है कि ऊपरी
हिमालयन रीजन में इस वक्त प्रदूषण के
कण न के बराबर हैं। इससे सूरज की
तपिश पिछले सालों की तुलना में ज्यादा
तीव्र है जो ग्लैशियरों पर जमने वाली
ऊपरी बर्फ को तेजी से पिघला रही है।
लॉकडाउन से साफ हुआ मौसम डॉटर एसपी पाल कहते हैं कि
कोरोना में लगे लॉकडाउन से मौसम
बहुत साफ हुआ है। इसी 4 फरवरी को
हिमालय रेंज और उसके शहरी इलाकों,
जिनमें चार हजार फीट से भी कम ऊंचाई
वाले शहर शामिल थे, वहां जमकर बर्फ
पड़ी। 15 से 18 हजार फीट ऊपर
वाले ग्लेशियर में भी खूब बर्फ पड़ी।
माना जा रहा है कि ज्यादा बर्फ पडऩे से
ग्लेशियर फट गए।






युगपक्ष ✍🏻




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