चुनाव : पर्दे के पीछे -
- मोहन थानवी
अलहदा अहमियत रखने वाला राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 राजनीतिक हलकों की अंदरूनी जानकारी होने का दम भरने वालों के लिए भी मानो एक पहेली बना हुआ है। नेताओं के सिवाय तथा एक आध सर्वे और एक्जिट पोल को छोड़ कोई भी राजनीतिक विशेषज्ञ प्रमुख दल भाजपा और कांग्रेस के लिए स्पष्ट बहुमत को नहीं दर्शा रहा। लेकिन सट्टा बाजार इसे लेकर ऊहापोह में नहीं बल्कि भाजपा को आगे देख रहा है।
इस सब से अलग लोग कह रहे हैं कि दोनों दल अपनी बहुमत की वांछित संख्या को पाने पर आशंकाओं से घिरे हैं। इसीके मद्देनजर संभावित विजयी सेहरे वाले निर्दलियों व बागियों की ओर आशा और निगरानी भरी नजरें टिकाए हुए हैं।
राजनीतिक हलकों के जानकारों की पारखी नजरें सर्वे रिपोर्टों व एक्जिट पोल के आंकड़ों को भेदने में लगी हैं।
दबे स्वर यह भी बता रहे हैं मतगणना तिथि आते-आते राजनयिकों को माफिक आने वाले होटलों, रिसोर्ट और फार्म हाउस की बुकिंग फुल होने जा रही है। चुनाव परिणाम आते-आते बाड़ाबंदी की तैयारियों को भी अंतिम रूप देन संबंधित बातों की भी लोग चर्चा कर रहे हैं।
फुसफुसाहट है कि बागी चेहरों और उनके नेताओं पर भी आलाकमान के इशारे पर खोजी नजरें टिकी हुई हैं।
इस बार जीत का हार पहनने वाले निर्दलियों का आंकड़ा बड़ा नहीं होने के कयासों के वावजूद दोनों दल जिताऊ माने जा रहे बागियों और निर्दलियों पर अभी से डोरे डाल रहे हैं। लोग ऐसे जिताऊ चेहरे करीब डेढ़ दर्जन तक आंक रहे हैं जो दोनों किसी भी दल के बहुमत में बाधक या सहयोगी हो सकते हैं।
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