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पंचांग : एकादशी पर क्या न करें, जानिए दिशाशूल, नक्षत्र और योग आदि


खबरों में बीकानेर



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पंचांग : एकादशी पर क्या न करें, जानिए दिशाशूल, नक्षत्र और योग आदि


🕉️ *~ वैदिक पंचांग ~* 🕉️
🌤️ *दिनांक - 04 नवंबर 2022*
🌤️ *दिन - शुक्रवार*
🌤️ *विक्रम संवत - 2079*
🌤️ *शक संवत -1944*
🌤️ *अयन - दक्षिणायन*
🌤️ *ऋतु - हेमंत ऋतु* 
🌤️ *मास - कार्तिक*
🌤️ *पक्ष - शुक्ल* 
🌤️ *तिथि - एकादशी शाम 06:08 तक तत्पश्चात द्वादशी*


🌤️ *नक्षत्र - पूर्व भाद्रपद रात्रि 12:12 तक तत्पश्चात उत्तर भाद्रपद*
🌤️ *योग - व्याघात 05 नवंबर रात्रि 03:16 तक तत्पश्चात हर्षण*
🌤️ *राहुकाल - सुबह 10:57 से दोपहर 12:22 तक*


🌞 *सूर्योदय - 06:43*
🌦️ *सूर्यास्त - 18:00*
👉 *दिशाशूल -पश्चिम दिशा में*
🚩 *व्रत पर्व विवरण- देवउठी-प्रबोधिनी*   


🔥 *विशेष - हर एकादशी को श्री विष्णु सहस्रनाम का पाठ करने से घर में सुख शांति बनी रहती है l राम रामेति रामेति । रमे रामे मनोरमे ।। सहस्त्र नाम त तुल्यं । राम नाम वरानने ।।*


💥 *आज एकादशी के दिन इस मंत्र के पाठ से विष्णु सहस्रनाम के जप के समान पुण्य प्राप्त होता है l*
💥 *एकादशी के दिन बाल नहीं कटवाने चाहिए।*
💥 *एकादशी को चावल व साबूदाना खाना वर्जित है | एकादशी को शिम्बी (सेम) ना खाएं *
💥 *जो दोनों पक्षों की एकादशियों को आँवले के रस का प्रयोग कर स्नान करते हैं, उनके पाप नष्ट हो जाते हैं।*

    🕉️ ~*वैदिक पंचांग* ~ 🕉️

🌷 *देवउठी एकादशी के दिन* 🌷
➡ *03 नवम्बर 2022 गुरुवार को शाम 07:31 से 04 नवम्बर, शुक्रवार को शाम 06:08 तक एकादशी है ।*


💥 *विशेष ~ 04 नवम्बर 2022 शुक्रवार को एकादशी का व्रत (उपवास) रखें ।*
🙏🏻 *देवउठी एकादशी के दिन भगवान विष्णु को इस मंत्र से उठाना चाहिए*
🌷 *उतिष्ठ-उतिष्ठ गोविन्द, उतिष्ठ गरुड़ध्वज l*
*उतिष्ठ कमलकांत, त्रैलोक्यं मंगलम कुरु l l*

           🕉️ *~ वैदिक पंचांग ~* 🕉️

🌷 *भीष्मपञ्चक व्रत* 🌷
*अग्निपुराण अध्याय – २०५*
🙏🏻 *अग्निदेव कहते है – अब मैं सब कुछ देनेवाले व्रतराज ‘भीष्मपञ्चक’ विषय में कहता हूँ | कार्तिक के शुक्ल पक्ष की एकादशी को यह व्रत ग्रहण करें | पाँच दिनों तक तीनों समय स्नान करके पाँच तिल और यवों के द्वारा देवता तथा पितरों का तर्पण करें | फिर मौन रहकर भगवान् श्रीहरि का पूजन करे | देवाधिदेव श्रीविष्णु को पंचगव्य और पंचामृत से स्नान करावे और उनके श्री अंगों में चंदन आदि सुंगधित द्रव्यों का आलेपन करके उनके सम्मुख घृतयुक्त गुग्गुल जलावे ||१-३||*


🙏🏻 *प्रात:काल और रात्रि के समय भगवान् श्रीविष्णु को दीपदान करे और उत्तम भोज्य-पदार्थ का नैवेद्ध समर्पित करे | व्रती पुरुष *‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ इस द्वादशाक्षर मन्त्र का एक सौ आठ बार (१०८) जप करें | तदनंतर घृतसिक्त तिल और जौ का अंत में ‘स्वाहा’ से संयुक्त *‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’* *– इस द्वादशाक्षर मन्त्र से हवन करे | पहले दिन भगवान् के चरणों का कमल के पुष्पों से, दुसरे दिन घुटनों और सक्थिभाग (दोनों ऊराओं) का बिल्वपत्रों से, तीसरे दिन नाभिका भृंगराज से, चौथे दिन बाणपुष्प, बिल्बपत्र और जपापुष्पों द्वारा एवं पाँचवे दिन मालती पुष्पों से सर्वांग का पूजन करे | व्रत करनेवाले को भूमि पर शयन करना चाहिये |*


🙏🏻 *एकादशी को गोमय, द्वादशी को गोमूत्र, त्रयोदशी को दधि, चतुर्दशी को दुग्ध और अंतिम दिन पंचगव्य आहार करे | पौर्णमासी को ‘नक्तव्रत’ करना चाहिये | इस प्रकार व्रत करनेवाला भोग और मोक्ष – दोनों का प्राप्त कर लेता है |*


🙏🏻 *भीष्म पितामह इसी व्रत का अनुष्ठान करके भगवान् श्रीहरि को प्राप्त हुए थे, इसी से यह ‘भीष्मपञ्चक’ के नाम से प्रसिद्ध है |*
🙏🏻 *ब्रह्माजी ने भी इस व्रत का अनुष्ठान करके श्रीहरि का पूजन किया था | इसलिये यह व्रत पाँच उपवास आदि से युक्त हैं ||४-९||*
🙏🏻 *इस प्रकार आदि आग्नेय महापुराण में ‘भीष्मपञ्चक-व्रत का कथन’ नामक दो सौ पाँचवाँ अध्याय पूरा हुआ ||२०५||*


💥 *विशेष ~ 04 नवम्बर 2022 शुक्रवार से 08 नवम्बर, मंगलवार तक भीष्म पंचक व्रत है।*




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