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सेवा,समर्पण और सहयोग की सीख देती नानी बाई रो मायरो- गोवत्स आशीष महाराज


खबरों में बीकानेर


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सेवा,समर्पण और सहयोग की सीख देती नानी बाई रो मायरो- गोवत्स आशीष महाराज




बीकानेर। सुजानदेसर स्थित मीराबाई धोरा पर भागीरथ नंदिनी गोचर भूमि पर चल रहा पांच दिवसीय नानी बाई रो मायरो का समापन बुधवार को हुआ। कथावाचक गोवत्स आशीष महाराज ने ठेठ राजस्थानी भाषा में कहा ' मायरे री कथा खाली कथा कोनी आ कथा अपाने सेवा, सहयोग और समर्पण री सीख देवे है '। अपा सच्चे मन सूं भगवान री सेवा करां तो भगवान भी आपणो पूरो ध्यान राखे, सांवरिये रे आगे करोड़ी अरदास करोड़ों दिला देवे, इरो प्रमाण नानी बाई रो मायरे री कथा है । आशीष महाराज ने कहा कि कथा में संयोग की भावना होना चाहिए क्योंकि सनातन धर्म कोई जीवित रखना है तो हमें एकजुटता मिलाकर ऐसे धार्मिक अनुष्ठानों करना जरूरी है। नरसिंह मेहता में भगवान के प्रति सहयोग व समर्पण की भावना थी। जिस दिन हमारे बीच में सहयोग की भावना आ जाएगी। नरसी मेहता की तरह हमारे काम भी नहीं रुकेंगे। 
सम्मान समारोह आयोजित
आयोजन से जुड़े भागीरथ नंदिनी के संस्थापक अध्यक्ष मिलन गहलोत ने बताया कि कथा समापन से पूर्व व्यास पीठ पर विराजित गोवत्स आशीष महाराज के सानिध्य में समाजसेवी गो प्रेमी, पर्यावरण प्रेमी एवं धर्म प्रेमी गणमान्य जनों का भागीरथ नंदिनी की ओर से सम्मान किया गया । इस अवसर पर कवि सम्मेलन का आयोजन भी किया गया। सम्मान समारोह कार्यक्रम में रामेश्वर आनंद जी महाराज दाता श्री सरजू दास जी महाराज बीकानेर जिला उद्योग संघ के अध्यक्ष डीपी पच्चीसिया कांग्रेस नेता मदन मेघवाल ने गणमान्य जनों का दुपट्टा पहनाकर एवं स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया।
इनका हुआ सम्मान
नेत्र चिकित्सक घनश्याम तंवर, धर्म प्रेमी भूरमल शास्त्री, रूप किशोर व्यास, पप्पू मिस्त्री, मूलचंद सामसुखा, ओमप्रकाश गहलोत, डॉ. मेवात सिंह, बंशी कच्छावा, दुलीचंद गहलोत, समाजसेवी कवि नेमचंद गहलोत, कवयित्री कृष्णा आचार्य, राजाराम स्वर्णकार, बाबूलाल छंगाणी, कैलाश टाक, जुगलकिशोर पुरोहित सहित गणमान्यजन को सम्मानित किया गया। 
सजीव झांकी सजाई
कथा समापन के अंतिम दिन श्रद्धालु महिलाओं व पुरुषों ने धार्मिक भजन गाते और भगवान का सुमिरन करते हुए कथा स्थल से बाबा रामदेव मंदिर तक सजीव झांकी निकाली। कथा वाचक आशीष महाराज ने कथा को सिरोधार्य किया, वहीं आगे देवी- देवताओं के रूप धरे बालक- बालिकाएं चल रहे थे! कथा के अंत में भक्तों के बीच प्रसाद वितरण किया गया।
तीन संकल्प दिलाए
रामेश्वरानंद महाराज दाताश्री ने कहा कि पर्यावरण की सुरक्षा, गाय की रक्षा और भारत की शान तिरंगे का सम्मान हम सब को करना है। यह देश हित में, धर्म हित में आवश्यक है। सभी उपस्थित जनों ने तन-मन-धन से हर संभव सहयोग गोचर और गाय के लिए देने का संकल्प लिया।




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