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दुनिया में रहो माली बनकर, मालिक बनकर नहीं - आचार्य विजयराज
बीकानेर 23/07/2022
दुनिया में रहो माली बनकर, मालिक बनकर नहीं- 1008 आचार्य श्री विजयराज जी म.सा.
बीकानेर। हमारा भाग्य, हमारा भविष्य स्वभाव ही बनाता है। स्वयं को बदलो, जो स्वयं को नहीं बदला तो दुनिया का बदलाव क्या मायने रखता है। इसलिए स्व का चिंतन करो, स्व का चिंतन करने वाले अध्यात्म में जीने वाले साधक होते हैं। साधक हमेशा यही चिंतन करते हैं कि मैं जो कर रहा हूं , क्या मैं वो सही कर रहा हूं..? , अगर मैं सही नहीं कर रहा हूं तो मुझे मार्ग बदल लेना चाहिए। श्री शान्त-क्रान्ति जैन श्रावक संघ के 1008 आचार्य श्री विजयराज जी महाराज साहब ने अपने नित्य प्रवचन में यह उद्गार व्यक्त किए। सेठ धनराज जी ढ्ढढा की कोटड़ी में चल रहे नित्य प्रवचन में महाराज साहब ने स्वभाव पर अपने सद्विचार रखते हुए कहा कि भगवान महावीर, महात्मा बुद्ध से लेकर महात्मा गांधी और अन्य महात्माओं ने यही कहा है कि खुद को बदलो, जितने भी महापुरुष हुए हैं, सबने यही कहा है, किसी ने भी आज तक यह नहीं कहा कि दुनिया को बदलो, सबने यही कहा कि खुद को बदलो। दूसरों की नजरों से खुद को देखना मनुष्य का स्वभाव होता है। लेकिन स्वयं की नजरों से वह स्वयं को नहीं देखता और यही उसकी चिंता का, दुख का कारण बनती है।
महाराज साहब ने कहा, महापुरुष फरमाते हैं कि दुनिया जानने योग्य है। समझने योग्य है, लेकिन दुनिया में रहो तो माली बनकर रहो, मालिक बनकर नहीं, माली बनकर रहे तो सुखी रहेंगे, लेकिन मालिक बनने का प्रयास किया तो समझलो चिंता शुरू हो गई। इसलिए अपने स्वभाव में परिवर्तन लाना चाहिए। स्वभाव ही हमारे भविष्य का, भाग्य का और नियति का निर्धारण करता है।
आचार्य श्री विजयराज जी महाराज साहब ने जिनवाणी और वर्षा जल में समानता बताते हुए कहा कि जैसे वर्षा का जल तन को शीतलता प्रदान करता है, वैसे ही जिनवाणी आत्मा को शीतलता प्रदान करती है। इसलिए प्रवचन में आओ तो ध्यान लगाकर सुनो और दिल में ग्रहण करो। आचार्य श्री ने कहा कि बहुत से लोग धर्मसभा में जाते हैं, सत्संग का लाभ लेते हैं। लेकिन एक कान से सुनकर दूसरे कान से निकाल देते हैं। कुछ लोग कान से सुनते हैं और मुंह से निकाल देते हैं लेकिन तीसरे प्रकार के लोग सुनते हैं और ग्रहण भी करते हैं। वह धर्म की समझ रखने वाले होते हैं।
प्रातः आज्ञा, मांगलिक, सोच्चा जाणइ कल्याणक का कार्यक्रम हुआ
श्री शान्त- क्रान्ति जैन श्रावक संघ के अध्यक्ष विजय कुमार लोढ़ा ने बताया कि चातुर्मास स्थल पर नित्य सुबह छह बजे आज्ञा का कार्यक्रम तत्पश्चात मांगलिक और साथ ही अरिहंत बोधि का कार्यक्रम निरंतर हो रहा है। जिसमें बड़ी संख्या में बाहर से आए हुए श्रावक-श्राविकाऐं भाग ले रही है। युवा संघ के प्रचार मंत्री अंकित सांड ने बताया कि महाराज साहब के दर्शनार्थ और सद्विचार सुनने के लिए बाहर से बड़ी संख्या में श्रावक पधार रहे हैं। शनिवार को विजयनगर (अजमेर), दिल्ली पश्चिम विहार, ब्यावर, रायपुर, गुडग़ांव से श्रावक संघ पधारे एवं प्रवचन सहित आज्ञा और मांगलिक का लाभ लिया।
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