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*बीकानेर डेली न्यूज*
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अपना लॉकडाउन लागू ...!
अब हम सभी को अपना अपना लॉकडाउन लागू कर लेना चाहिए। कोरोना काल में यह तीसरी लहर ऐसी ही स्थिति पैदा कर चुकी है। यह भी सच है कि चार लोग जहां भी मिलते हैं वहां लॉकडाउन की बात चल पड़ती है। कुछ लोगों का यह संकेत होता है कि सरकार अब जल्दी ही लोक डाउन लगा ही देगी। ऐसी ही स्थिति रही तो लोक डाउन लगना संभावित है। यहां एक विचार आता है कि अपना लोक डाउन क्यों न लागू कर लिया जाए। इस स्थिति में जबकि कोरोना प्रतिदिन सैकड़ा पारकर संक्रमित कर रहा है। तो सरकार की ओर से सख्त कदम उठाए जाने का इंतजार क्यों किया जाए? हम स्वयं अनिवार्यता होने पर ही सार्वजनिक स्थल की ओर बढ़े। घर से बाहर तभी निकले जब अनिवार्य ही काम हो। ऐसे समारोह में जाने से बचें जहां न जाने पर भी संबंध प्रभावित ना होते हों। हां यह एक दिल में चुभने वाली बात है की शोक सभा और अपने किसी प्रिय आदरणीय वरिष्ठ के दिवंगत हो जाने पर उसकी अंतिम यात्रा में भी हम सीमित संख्या में पहुंचे। अति दुखद है यह स्थिति। लेकिन यह भी सच है कि सभी के बचाव के लिए जब पहली बार लॉकडाउन लगा था तो सारी दुनिया मानो ठहर सी गई थी। उस स्थिति को हम दोबारा ना देखें इसके लिए हमें स्वयं ही सख्त कदम उठा लेने चाहिए। मुंह पर मास्क लगाए रखना बार-बार हाथ धोना और दूसरों से 2 गज की दूरी बनाए रखना तो अब हमारे जीवन शैली का हिस्सा ही हो गया मानो। लेकिन इससे भी पहले हम दूसरों से 2 गज दूर तो क्या घर से बाहर ही ना निकले। मिले ही ना दूसरों से। आज अत्याधुनिक उपकरणों के माध्यम से मैसेजिंग वीडियो कॉलिंग से बातचीत हो जाती है। मिलना जुलना भी हो जाता है। जब तक इस से काम चलता है तब तक क्यों जोखिम उठाया जाए? स्वास्थ्य के प्रति जोखिम केवल एक व्यक्ति का नहीं बल्कि उस व्यक्ति से जुड़े उसके पारिवारिक सदस्य मित्रगण मोहल्ला और फिर यह दायरा बढ़ता बढ़ता असीमित हो जाता है। यह संक्रमण कोरोना का है ही ऐसा। एक से दो दो से चार चार से 16 सोलह से 160 और... । तो इतना गुणात्मक संक्रमण न फैले इसके लिए हम सभी को स्वयं का लोक डाउन हमें मान लेना चाहिए। सरकार सख्त कदम उठाए और हम उस उसका पालन करें इससे बेहतर है कि हम सरकार का सहयोग करें। अपना खुद का सहयोग करें। अपने परिवार जनों का सहयोग करें। समाज का और देश का सहयोग करें। खुद को अपने लॉकडाउन में डाल दें। इससे अनिवार्यता के कार्यों पर बाहर निकलने से रोक टोक भी ना होगी। वह स्थिति भी नहीं आएगी जब पुलिस कर्मी रास्ते में रोककर पूछताछ करते हैं। निषेध क्षेत्र में जाने पर जुर्माना लगता है। दुकानें बाजार आफिस और यात्राएं बंद करने कि वह भी स्थिति नहीं आएगी तब... जब हम स्वयं खुद को अपना लॉकडाउन में डाल लें।
- मोहन थानवी
C P MEDIA



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