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पुस्तकालोचन : ज़ाकिर अदीब की ग़ज़लें कर रही समकालीन सवालों से मुठभेड़ - कमल रंगा

पुस्तकालोचन : ज़ाकिर अदीब की ग़ज़लें कर रही समकालीन सवालों से मुठभेड़ - कमल रंगा

सावन मनभावन ...🚩 चहुंओर भोलेनाथ की जय जयकार...


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21 जुलाई 2025 सोमवार

खबरों में बीकानेर


✒️@Mohan Thanvi

पुस्तकालोचन : ज़ाकिर अदीब की ग़ज़लें कर रही समकालीन सवालों से मुठभेड़ - कमल रंगा 

बीकानेर 21 जुलाई 2025
 प्रज्ञालय संस्थान एवं राजस्थानी युवा लेखक संघ द्वारा ‘पुस्तकालोचन’ कार्यक्रम की दूसरी कड़ी नत्थूसर गेट बाहर स्थित लक्ष्मीनारायण रंगा सृजन-सदन में आयोजित की गई । जाकिर अदीब के नए ग़ज़ल संग्रह ‘एहसास का दरिया’ पर विद्वजनों ने अपनी टीप प्रस्तुत किया । 
 अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार-आलोचक कमल रंगा ने कहा कि ज़ाकिर अदीब की शायरी, मानवीय पीडा की सच्ची पैरोकार है। आपकी ग़ज़लें समकालीन सवालों से मुठ्भेड़ करती हुई सूक्ष्म संवेदना की पड़ताल करती है। आपकी शायरी परिवार एवं सामाजिक सरोकारों के साथ-साथ वैश्विक संदर्भ तक अपने कथ्य को अपने अलग मुहावरे के साथ पाठकों को सौंपती है। 
 रंगा ने आगे कहा कि आपकी शायरी आम आवाम की आवाज बनकर आज की गंदी राजनीति व्यवस्था, विडम्बना एवं विसंगतियों आदि के खिलाफ मुखर होकर पाठक से एक रागात्मक रिश्ता जोड़ती है।
 जाकिर अदीब के नए ग़ज़ल संग्रह ‘एहसास का दरिया’ पर बतौर मुख्य वक्ता अपनी आलोचनात्मक विचार रखते हुए वरिष्ठ शायर डॉ. जिया उल हसन कादरी ने कहा कि आपकी शायरी उम्दा तो है ही साथ ही आप विभिन्न विषयों को लेकर ग़ज़ल कहने में माहिर है। आपकी शायरी का प्रमुख स्वर गलत व्यवस्था आदि के खिलाफ है। शायरी आपको विरासत में मिली है। डॉ. जिया ने आगे कहा कि ऐसे आयोजन से पुस्तक संस्कृति एवं आलोचना विधा को संबल मिलता है। जिसके लिए प्रज्ञालय संस्थान साधुवाद की पात्र है।
 पुस्तक पर संक्षिप्त आलोचनात्मक टिप्पणी  संवादी वरिष्ठ शायर क़ासिम बीकानेरी, रवि शुक्ल ने प्रस्तुत की। 
 सभी का स्वागत वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. नमामी शंकर आचार्य ने किया । 
 ‘एहसास का दरिया’ पुस्तक के रचनाकार ज़ाकिर अदीब के व्यक्तित्व और कृतित्व पर संक्षिप्त प्रकाश डालते हुए एड. इसरार हसन कादरी ने उन्हें नेक इंसान एंव उम्दा शायर बताया।
 संयोजन करते हुए कवि गिरिराज पारीक ने पुस्तकालोचन कार्यक्रम के महत्व को रेखांकित किया।
 कार्यक्रम में डॉ. नृसिहं बिन्नाणी, डॉ. फारूख चौहान, एड. गंगाबिशन बिश्नोई, डॉ. मूलचंद बोहरा, शकूर बीकाणवी, वली गौरी, अविनाश व्यास, बुनियाद हुसैन, जुगल किशोर पुरोहित, मदन जैरी, गोपाल कुमार कंुठित, भवानी सिंह, अशोक शर्मा, तोलाराम सारण, अख्तर अली, घनश्याम ओझा, हारून शेख, रज्जाक, एड. इसरार हसन कादरी, डॉ. नमामी आचार्य, नवनीत व्यास आदि साक्षी बने।
 






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