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नई प्रणाली से टीबी का इलाज अब 6 महीने में होगा, मोदी सरकार की मंजूरी






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*खबरों में बीकानेर*




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नई प्रणाली से टीबी का इलाज अब 6 महीने में होगा, मोदी सरकार की मंजूरी

नई दिल्ली। अब केवल छह महीने में टीबी का प्रभावी उपचार संभव होगा। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने मल्टी- ड्रग रेसिस्टेंट ट्यूबरकुलोसिस (एमडीआर- टीबी) या दवा प्रतिरोधिक तपेदिक के उपचार की नई पद्धति को मंजूरी दे दी है। इस उपचार में प्रीटोमानिड नामक एक नई टीबी रोधी दवा को बेडाक्विलाइन और लाइनजोलिड (मोक्सीफ्लोक्सासिन के साथ या बिना) के साथ शामिल किया गया है। एमडीआर-टीबी का पारंपरिक उपचार-भारत में एमडीआर-टीबी के 75,000 रोगी इस उपचार विधि का लाभ उठा सकेंगे। इस समय एमडीआर-टीबी का पारंपरिक उपचार 20 महीने तक चलता है। इसके दुष्परिणाम भी सामने आ सकते हैं।

टीबी उपचार के लिए दवाई

मंत्रालय ने राष्ट्रीय तपेदिक उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) के तहत टीबी के उपचार के लिए बेहद प्रभावी उपचार *बीपीएएलएम* को स्वीकृति दे दी है। बीपीएएलएम* पद्धति में चार दवाएं प्रीटोमैनिड, बेडेक्विलिन और लिनजोलिड और माक्सीफ्लाक्सेसिन शामिल हैं।

लाइसेंस को मंजूरी-यह पुरानी एमडीआर-टीबी उपचार विधि की तुलना में सुरक्षित, अधिक प्रभावी है। प्रीटोमैनिड को भारत में उपयोग के लिए स्वीकृति व लाइसेंस केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) पहले ही दे चुका है। नए उपचार को मंजूरी-बीपीएएलएम पद्धति काफी कारगर है। यह एमडीआर-टीबी को केवल छह महीने में ठीक कर सकती है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग के परामर्श के बाद टीबी के इस नए उपचार को मंजूरी दी। 2025 तक टीबी मुक्त भारत-मंजूरी देने से पहले इस उपचार की देशभर के विशेषज्ञों ने गहन समीक्षा की है। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विजन के तहत भारत ने 2025 तक टीबी से मुक्ति पाने का लक्ष्य रखा है।


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