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पंचतत्व में विलीन हुए दिनेश सक्सेना








पढ़ना और पढ़ाना, भावी पीढ़ी को संस्कारित बनाना













*खबरों में बीकानेर*

पंचतत्व में विलीन हुए दिनेश सक्सेना

बीकानेर, 22 अगस्त। जनसम्पर्क विभाग के सेवानिवृत्त संयुक्त निदेशक श्री दिनेश सक्सेना का अंतिम संस्कार गुरुवार को परदेशियों की बगीची स्थित श्मशान गृह में किया गया।

 उनके पुत्र तपेश सक्सेना ने उन्हें मुखाग्नि दी। अंतिम यात्रा पत्रकार कॉलोनी स्थित उनके आवास से निकली। 

 अंतिम संस्कार में जनसम्पर्क विभाग के संयुक्त निदेशक मनमोहन हर्ष, सहायक निदेशक हरि शंकर आचार्य, अकादमी सचिव शरद केवलिया, जनसंपर्क विभाग के सेवानिवृत्त अधिकारी मोहम्मद सलीम, अमर सिंह चौहान, विकास हर्ष, इनटेक के पृथ्वी राज रतनू, राजूवास के डॉ. आरके धूड़िया, डॉ. देवी सिंह, राजकीय डूंगर महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य डॉ. जीपी सिंह, डॉ. जयदीप दोगने, श्याम तंवर, राजेंद्र भार्गव सहित बड़ी संख्या में पत्रकार, राजूवास के अधिकारी और स्व. श्री सक्सेना के परिजन मौजूद रहे। 

उल्लेखनीय है कि  सक्सेना का निधन बुधवार को हो गया था। वे जनसंपर्क कार्यालय बीकानेर के अलावा सीकर और झालावाड़ में भी पदस्थापित रहे। वहीं सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग जयपुर, स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय और पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय में भी सेवाएं दी थी।

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पत्रकारिता के पुरोधा श्री दिनेश सक्सेना

श्री दिनेश सक्सेना नहीं रहे, कि खबर सुनकर सब तरफ सन्नाटा छा गया। सक्सेना जी बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे। पत्रकारों में पत्रकार, समाजसेवियों में समाज सेवक, महफिल के राजा थे। हंसमुख मिजाज, हाजर जबाव, यारों के यार, और प्रतिष्ठित लोगों में आना-जाना था। पत्रकार कॉलोनी में प्रवेश दिनेश जी के मकान से ही होता था। प्रत्येक आने वाले व्यक्ति की आवभगत उनकी तासीर में थी।
मैं जब आज सोचता हूं तो मुझे लगभग पिछले पचास वर्षों की उनकी जीवन यात्रा सामने चलचित्र की तरह आ जाती है। धोबीधोरा रानी बाजार में उनका पुस्तेनी मकान में परिवार रहता था। दिनेश जी की शादी उसी मकान में हुई। श्री अरूण सक्सेना जिला वन संरक्षण अधिकारी उनके बड़े भाई थे जो ‘‘अरूण दादा’’ के नाम से वन विभाग में लोकप्रिय थे। र्निमल और कौशल छोटे भाई हैं वो भी वन विभाग में सेवारत है। कुल पांच भाईयों का परिवार बीकानेर में अनेक लोगों के साथ अपने मृदु व्यवहार के कारण लोकप्रिय है।
दिनेश जी प्रांरभ में राष्ट्रदूत में पत्रकार के रूप में काम करते तब मैं सूचना केन्द्र में कार्यरत था उस समय आते जाते रहते थे। फिर मैं आकाशवाणी में कार्यरत था दिनेशजी उस समय उद्घोषक के रूप में भी आकाशवाणी में सेवा देते रहते थे। तत्पश्चात् दिनेश जी अध्यापक के पद पर राजकीय सेवा में रहे। बाद में परीक्षा देकर, राजस्थान राज्य जनसंपर्क सेवा में आपका चयन हुआ।
श्री दिनेश सक्सेना जनसंपर्क अधिकारी बीकानेर के पद पर लोकप्रिय रहे। बीकानेर के पत्रकारों के साथ आपका रिश्ता बहुत अच्छा रहा। जनसंपर्क सेवा के अधिकारी और कर्मचारियों के साथ बहुत मधुर संबंध रहा जैसे- विकास हर्ष, भार्गव जी, शरद केवलिया और हरिशंकर आचार्य तथा भाग्य श्री गोदारा ने आपके साथ रहकर बहुत कुछ सीखा है। श्री फारुक आफरीदी, फरीद खां, नारायण सिंह पीथल, अशोक माथुर, पुष्पा आचार्य, किशन कुमार आजाद, शुभु पटवा, हेम शर्मा, प्रभा गोस्वामी, जैन साहब, गौड़ साहब, उमेश सक्सेना जैसे साथी पत्रकारों के साथ रहे।
दिनेश जी मेरे साथ ‘इन्टेक’ संस्था के सदस्य के रूप में सक्रिय सदस्य रहे। इन्टेक और रोटरी क्लब के अनेक कार्यक्रमों में भाग लिया। साँचू चैक पोस्ट को ऐतिहासिक यात्रा के अगवा रहे। इन्टेक के कोषाध्यक्ष श्री सुनील बांठिया का ऑफिस आपके मिलने जुलने का केन्द्र बिन्दु था। रोटरी के श्री अरूण प्रकाश गुप्ता, मनमोहन कल्याणी तथा इन्टेक के साथी नन्दलाल वर्मा, एम.एल. जांगिड़, ओ.पी. शर्मा, भंवर सिंह डेलू, शुक्ला बाला पुरोहित, हिंगलाज रतनू, मंजुला बारहठ, श्रीमती सुधा आचार्य, अरविन्द सिंह राठौड़, रितेश व्यास, निर्मल रतनू के साथ 25 जुलाई 2024 को हमारी ‘इण्टेक’ बैठक व सहभोज था। हम ने यह कभी नहीं सोचा कि आज हमारा अंतिम मिलन है। होनहार को नमस्कार है। दिनेश जी की यादें सदा अमर रहेगी। जनसंपर्क सेवा में उनका नाम सदैव अक्षुण रहेगा।
उस जिंदादिल इंसान को शत्-शत् नमन।
पृथ्वीराज रतनू
बीकानेर 



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