पुष्करणा 'सावा' की परम्पराएं और रीति रिवाज केनवास पर उकेरे जाएंगे
बीकानेर। देश और दुनिया में प्रसिद्ध पुष्करणा समाज के ओलम्पिक सामूहिक विवाह सावा-2024 के लोकरंगों को समाज के ही 15 पुष्करणा चित्रकार केनवास पर उकेरेंगे। रीति रिवाजों के आरंभ से संपन्न होने तक के सांस्कृतिक रंगों की छटा उकेरी जाएगी। शहर परकोटे में इस बार फिर से रमक झमक संस्थान अनेक अनूठे व नवाचार कार्यक्रम करेगा।
संस्थान के अध्यक्ष प्रहलाद ओझा 'भैरुं' ने बताया कि बुधवार, 10 जनवरी को सुबह 11 बजे पुष्करणा समाज की परम्पराओं को केनवास पर उतारने के लिए समाज के ही 15 पुष्करणा चित्रकार एक कार्यक्रम में भाग लेकर शहर की सबसे पौराणिक संस्कृति 'सावा' की पौराणिक परम्पराओं और रीति रिवाज को केनवास शीट पर उतारना शुरू करेंगे। इन चित्रों में शादी के अवसर पर गणेश बैठाने से शुरू कर सगाई की स्थानिक परम्परा, छींकी, गोदी, खोला, टिकी, बड़बेला, खिरोडा, विष्णु स्वरूप में तैयार बींद (दूल्हा), खिड़किया पाग, पोखना, सास द्वारा नाक पकडऩा, मामा चुनरी पहने बींदणी, चंवरी, फेरे, तोरण, बन्ना-बन्नी के मेहंदी, लग्न पत्रिका, बरी, धागड़, धौला, रमक झमक द्वारा बींद को पुरस्कार एवं बीकानेरी साफा बांधते चित्र बनाए जाएंगे।
आयोजन से जुड़े प्रेम रतन व श्री लाल छंगाणी ने बताया कि इन चित्रों को सावा देखने आने वाले देशी-विदेशी पर्यटकों के लिये मकर सक्रांति के बाद प्रदर्शनी भी लगाई जाएगी।
इस बार सावा तिथि 18 फरवरी 2024 है।
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