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चुनाव : पर्दे के पीछे -
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ऊंट बैठे तो हो करवट की बात...! कयासों और अफवाहों का बाजार गर्म...!
- मोहन थानवी
राजस्थान में प्रचंड जीत के बाद भारतीय जनता पार्टी की ओर से चार दिन गुजरने पर भी गुरुवार दोपहर बाद तक मुख्यमंत्री का नाम जाहिर नहीं होने के कारण कयासों और अफवाहों का बाजार गर्म होता जा रहा है। बीते दिन सोशल मीडिया पर मुख्यमंत्री के नाम संबंधित एक लिस्ट वायरल हुई जिस पर भाजपा ने तुरंत उसे फेक बताते हुए खारिज किया। दूसरी ओर एक रिसॉर्ट में 5-7 विधायकों के जमावड़े को लेकर भी तरह-तरह की अफवाहें सुनाई देने लगी। इससे इतर, यूट्यूब पर एक वीडियो भी तेजी से वायरल हुआ। जिसमें किसी कथित वकील द्वारा चुनाव पर ही प्रश्न चिन्ह लगाते हुए 10 दिसंबर को फिर से चुनाव करवाए जाने की अपील लेकर कोर्ट जाने की बात कही गई है। बहरहाल, अफवाहें हैं, अफवाहों का क्या !!
यथार्थ में तो मुख्यमंत्री के नाम को लेकर कार्यकर्ताओं और आम जन में उत्सुकता बढ़ गई है। राजनीतिक जगत के जानकारों का ऐसा मानना है कि यह सब मतदान के प्रति जागरूकता अभियान का परिणाम है। खैर, फिलहाल तो दिल्ली में तेजी से हो रही गतिविधियों को देखते हुए यह कहा जा रहा है कि जल्द ही मुख्यमंत्री का नाम घोषित हो जाएगा।
इधर, लोगों का कहना है कि पहले मुख्यमंत्री तो तय हो जाए, फिर मंत्रिमंडल में शामिल होने की संभावनाएं रखने वाले विधायकों की बात हो।
राजनीतिक चर्चाओं के लिए पहचान रखने वाले लोग हैरानी जताते हैं कि इन दिनों राजनीति से दूर-दूर तक का रिश्ता नहीं रखने वाला आमजन भी मानो घटित हो रहे राजनीतिक घटनाक्रम के विश्लेषण पर जुट गया है। जबकि बीते चुनावों के माहौल की बात करें तो लोग अपने नवनिर्वाचित नगर विधायकों के मंत्री बनने या बनने की चर्चाओं में मशगूल रहते थे।
किंतु अब हालात ही बदले बदले से सामने आए हैं। इसी के चलते लोग कह रहे हैं - ऊंट किस करवट बैठेगा, यह बाद की बात है पहले ऊंट बैठने को तैयार तो हो। हमारे नगर विधायक मंत्री तो तब बनेंगे जब पहले सरकार का गठन हो और मुख्यमंत्री सामने आए।
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