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लक्ष्मीनारायण रंगा की स्मृति में छात्राओं को बाल साहित्य अर्पण किया बाल साहित्य का छात्राओं में अर्पण साहित्यिक नावाचार है : सुनील बोड़ा




*खबरों में बीकानेर*




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*खबरों में बीकानेर*

लक्ष्मीनारायण रंगा की स्मृति में छात्राओं को बाल साहित्य अर्पण किया


बाल साहित्य का छात्राओं में अर्पण साहित्यिक नावाचार है : सुनील बोड़ा
 






लक्ष्मीनारायण रंगा की स्मृति में छात्राओं को बाल साहित्य अर्पण किया
बाल साहित्य का छात्राओं में अर्पण साहित्यिक नावाचार है : सुनील बोड़ा

बीकानेर 09 अक्टूबर, 203। नई पीढ़ी अपनी मातृभाषा राजस्थानी से रागात्मक रिश्ता जोड़ते हुए राजस्थानी बाल साहित्य को ज्यादा से ज्यादा पढ़े-समझे जिससे पुस्तक संस्कृति को बल मिले।


 इसी केंद्रीय भाव को ध्यान में रखकर देश के हिन्दी-राजस्थानी के ख्यातनाम साहित्यकार लक्ष्मीनारायण रंगा की स्मृति में प्रतिमाह 9 तारीख को होने वाले उन्हें समर्पित आयोजनों के तहत आज प्रात: प्रज्ञालय संस्थान एवं श्रीमती कमला देवी-लक्ष्मीनारायण रंगा ट्रस्ट के साझा प्रयासों से 101 राजस्थानी बाल साहित्य की पुस्तकों का राजकीय बारह गुवाड़ बालिका सीनियर सैकेण्डरी स्कूल के छात्राओं को अर्पण किया गया।



संस्था के प्रतिनिधि युवा शिक्षाविदï् राजेश रंगा ने बताया कि प्रदेश में पहली बार होने वाले इस नवाचार में राजस्थानी बाल साहित्य की पुस्तकों का अर्पण कार्यक्रम बीकानेर के अतिरिक्ति जिला शिक्षा अधिकारी सुनील बोड़ा के मुख्य आतिथ्य में स्थानीय राजकीय बारह गुवाड़ बालिका सीनियर सैकेण्डरी स्कूल के प्रांगण में सैकड़ों छात्राओं के साक्षी में सम्पन्न हुआ। 



इस अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि अतिरिक्त जिला शिक्षा अधिकारी सुनील बोड़ा ने कहा कि छात्राओं को राजस्थानी बाल साहित्य अर्पित करना महत्वपूर्ण साहित्यिक उपलब्धि है। 


क्योंकि इससे छात्राओं में अपनी मातृभाषा और उसके बाल साहित्य को पढऩे और समझने का अवसर तो मिलता ही है साथ ही इससे छात्राओं का साहित्य एवं भाषा से एक आत्मिक जुड़ाव होगा। बोड़ा ने आगे बोलते हुए कहा कि शस्त्र चलाने वाले अमर नहीं होते, शास्त्र लिखने वाले अमर हो जाते हैं। यही शास्त्र पीढिय़ों को संस्कारित करते हैं। 



स्कूली छात्राओं में जिन १०१ राजस्थानी बाल साहित्य की पुस्तकों का अर्पण किया गया उसमें राजस्थानी के युवा कवि कथाकार पुनीत रंगा की राजस्थानी बाल नाटक की पुस्तक 'मुगतीÓ जो कि दहेज की समस्या को लेकर है।


 वहीं एक अन्य बाल साहित्य की पुस्तक जो युवा कथाकार डॉ. चारूलता रंगा की 'राजस्थानी बाल कहानियांÓ की है। जिसमें अनेक रोचक बाल कहानियों का समावेश है। ज्ञात रहे इन दोनों ही बाल साहित्य पुस्तकों के रचनाकार लक्ष्मीनारायण रंगा की साहित्य विरासत की तीसरी पीढ़ी के हैं, जो कि उनके पौत्र एवं पौत्री है।



युवा शिक्षाविदï् राजेश रंगा ने कहा कि छात्राओं में बाल साहित्य पढऩे की और समझने की ललक देखकर अच्छा लगा और भरोसा जगा कि निश्चित तौर पर अगर सकारात्म प्रयास किए जाएं तो नई पीढ़ी अपनी मातृभाषा एवं साहित्य से गहरे तक अपना जुड़ाव कर सकती है। 



 बाल साहित्य की पुस्तक अर्पण आयोजन में शाला की ओर से बोलते हुए व्याख्याता सुधा हर्ष ने श्रीमती कमलादेवी-लक्ष्मीनारायण रंगा ट्रस्ट का आभार व्यक्त करते हुए इसे अनोखी पहल बताया। कार्यवाहक प्राचार्य संगीता सैन ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि प्रज्ञालय संस्थान एवं श्रीमती कमलादेवी-लक्ष्मीनारायण रंगा ट्रस्ट द्वारा आयोजित छात्राओं को पुस्तक अर्पण करना महत्वपूर्ण कार्य तो है ही


 साथ ही एक सकारात्मक पहल है, जिसके लिए दोनों संस्थाएं साधुवाद की पात्र है। कार्यक्रम में यास्मीन बानो, स्वरूप मोदी, प्रीति बाला, रंजन सर्वा एवं मोनिका व्यास ने भी अपने विचार रखे। कार्यक्रम का संचालन बारह गुवाड़ स्कूल के मुकेश जेवरिया ने किया। अंत में उपस्थित सैकड़ों छात्राओं, शाला स्टाफ आदि का आभार हरिनारायण आचार्य ने ज्ञापित किया।

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