यही समय सही समय कहते भी ओबीसी महिलाओं को फिलवक्त आरक्षण से बाहर क्यों रखा पीएम मोदी ने...!
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( मोहन थानवी, स्वतंत्र पत्रकार )
जब से पांच दिवसीय विशेष सत्र की घोषणा हुई तब से इंडी अलायंस और अन्य दलों की ओर से महिला आरक्षण बिल के संबंध में मांग बढ़ती गई। अब संसद के विशेष सत्र के आज चार दिन हो चुके। इन चार ऐतिहासिक दिनों में संसद के ऐतिहासिक भवन से नए भवन में गणेश चतुर्थी के शुभ दिन प्रवेश भी हुआ। और ऋषि पंचमी के पावन दिवस परू विपक्षी दलों की मंशा के अनुरूप केंद्र सरकार ने महिला शक्ति वंदन अधिनियम बिल भी पटल पर रखा। जिसे लोकसभा में लगभग सर्वसम्मति से और दूसरे दिन राज्यसभा में ऐतिहासिक रूप से मौजूद सदस्यों की सर्व सहमति के साथ पारित कर दिया गया। सभापति ने पीएम मोदी को जन्मदिन और बिल पारित होने की बधाइयां दी।
इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दोनों सदनों में चर्चा में भाग लेने वाले 132 सदस्यों का धन्यवाद और आभार प्रकट किया। उन्होंने कहा है कि नारी शक्ति को विशेष सम्मान विधेयक को पारित करने में सभी राजनीतिक दलों की सकारात्मक ऊर्जा से मिला है।
इन चार दिनों में एक विशेष बात जो आम जन के लिए आकर्षण और चर्चा का विषय बन गई वह यह के यही समय सही समय भारत का अनमोल समय के मूल मंत्र को कहने जानने और अपने कृतित्व में उतारने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्ष के इस सुझाव को क्यों नजर अंदाज कर दिया की इस बिल के पारित होने पर इस कानून को तुरंत प्रभाव से लागू कर दिया जाए। कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने भी यह तर्क देते गेंद एनडीए सरकार की ओर उछालते हुए कहा की जैसे नोटबंदी कर ली और दूसरे भी काम आप कर चुके तो इस बिल में ओबीसी वर्ग की महिलाओं का ध्यान भी आप रख सकते थे।
इसके बावजूद ऐसी गेंद लपकने के बजाय यह कैच छोड़ दिया गया। यह एक तरह से आसान कैच छोड़ने जैसा लगा। लेकिन नहीं, भाजपा यह जानती समझती है कि एकबारगी यह कैच लगे भले ही आसान, किन्तु इस कैच के बाद हाथ में आई हुई जो गेंद होती वह शोला बने लोहे के गोले की भांति होती। संवैधानिक कारणों से यह कानून लागू होने से वंचित होता।
लेकिन इंडी अलायंस और विपक्षी दल इसे नहीं समझ पाए। और बराबर मांग करते रहे कि इस बिल को पास कर कानून अभी से ही लागू किया जाए। इस पूरे प्रकरण में जो बात उभर कर आई वह यह के आरक्षण के बाद ओबीसी वर्ग की जिन महिला जनप्रतिनिधियों को राजनीतिक दल मतदाताओं के समक्ष वोट पाने के लिए प्रस्तुत करते वह पर्याप्त संख्या भाजपा के अलावा इंडी अलायंस सहित अन्य दलों के पास भी नहीं है। और जो संख्या है वह वांछित से बहुत कम है।
लेकिन भाजपा के पास यह वांछित संख्या पुरुषों को मिलाकर तो आज की स्थिति में लगभग ही है। इसके आंकड़े किन्हीं और संदर्भ में संसद में और राज्यसभा में पेश भी किए गए। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्ढा ने भी राज्यसभा में यह बताया की लोकसभा में ही ओबीसी के इतन सांसद भाजपा के हैं जितने तो कांग्रेस के कुल सांसद भी नहीं है।
उनके इस वक्तव्य के बाद भी बिल का समर्थन करते हुए इंडी अलायंस और अन्य दलों के प्रतिनिधियों ने स्पष्ट रूप से इस कानून को तुरंत प्रभाव से लागू करने की अपनी मांग को छोड़ा नहीं। लेकिन आमजन इस बात को अच्छी तरह समझ गया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जो कठिनाइयों में भी अवसर खोज लेते हैं वह इस अवसर को भी क्यों छोड़ रहे हैं।
जानकार मानते हैं कि वही बात सामने आती है जो कि कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल सहित गृहमंत्री अमित शाह और अन्य सरकार के प्रतिनिधियों ने बार-बार दोनों सदनों में साझा की। बताया गया कि इस कानून को प्रक्रिया पूर्ण न कर तुरंत लागू करना संविधान के अनुरूप नहीं है। हर मामले में बार-बार संविधान के सम्मान की बात करने वाला विपक्ष भी मोदी सरकार की इस बात को महिला शक्ति वंदन विधेयक को पारित होने के बाद श्रेय लेने और इसे लागू करने में टालमटोल करने वाला ही बताता रहा।
संविधान और राजनीति के जानकारों की नजर में तो हकीकत यही सामने आ रही है की संविधान का सम्मान तो प्रक्रिया पूर्ण करने से ही होगा। और रही बात इस कैच को लपक लेने के बजाय छोड़ देने की, तो उसके पीछे भी वजह है - चुनाव में मतदाताओं के समक्ष ओबीसी वर्ग की प्रतिनिधि नेत्री को प्रत्याशी बनाकर प्रस्तुत करने के लिए भी समय चाहिए। और अब तय है की आगामी चुनावों के मध्य नजर भाजपा सहित विभिन्न दल ओबीसी वर्ग की महिला नेत्रियों को पहले से अधिक अवसर प्रदान करते हुए मतदाताओं के समक्ष लाने की प्रक्रिया आरंभ कर देंगे।
राज्य सभा में बिल पर चर्चा के दौरान सदस्यों की सहमति का संदर्भ देते हुए सभापति ने बीकानेर सांसद केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल को सौभाग्यशाली बताया।
यानी महिला शक्ति वंदन अधिनियम केे संदर्भ में पांच दिवसीय विशेष सत्र चार दिन में ही अपने मुकाम को प्राप्त कर चुका।
मातृशक्ति, भारतवासियों सहित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और तमाम राजनीतिक दलों को इसकी बधाई। एक और बधाई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी टीम को। यह बधाई इसलिए कि अपने लगभग हर कार्य की तरह ही मोदी सरकार ने इस कार्य को भी लक्ष्य से पहले पूर्ण कर लिया।
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