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राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव पद्मश्री सोमा घोष ने शास्त्रीय गायन में बिखेरी होली की मस्ती













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राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव

पद्मश्री सोमा घोष ने शास्त्रीय गायन में बिखेरी होली की मस्ती 


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--राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव

पद्मश्री सोमा घोष ने शास्त्रीय गायन में बिखेरी होली की मस्ती 

बीकानेर, 5 मार्च। यहां डॉ. करणी सिंह स्टेडियम में राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव का रविवार को आखिरी दिन के कार्यक्रमों में सुप्रसिद्ध शास्त्रीय गायिका पद्मश्री सोमा घोष की उपस्थिति से मंच समृद्ध हुआ। उन्होंने शास्त्रीय गायन को होली के रंगों से सराबोर कर श्रोताओं को सम्मोहित कर दिया।
उनका मानना है कि संस्कृति के संस्थापक भगवान शिव हैं। उन्होंने अपने कार्यक्रम का आगाज भी राग हंसध्वनि में शिव स्तुति से ही किया। इसके बाद उन्होंने हमरी अटरिया पे... गाया तो श्रोता झूम उठे। फिर उन्होंने श्रीकृष्ण और भोलेनाथ की होली के रंगों से तमाम शा​मियान को रंग दिया। इनमें होली के गुलाल में भक्ति का रंग भी जमा जब उन्होंने ब्रज की होली के रंग बताए, जिसमें राधा का रूठना, कृष्ण का मनाना आदि प्रसंगों को शानदार सुरों में पिरोकर पेश किया। उन्होंने श्रोताओं का शिव की श्मशान होली से भी 'छोड़ धरम के धंधे, होरी खेले बमभोले...' गाकर रू—ब—रू करवाया। उन्होंने राजस्थान की होली पर जब 'होरिया में उड़े रे गुलाल' पेश किया तो समूचा स्टेडियम झूम उठा। 

चार प्रसिद्ध गायिकाओं की एक पेशकश ने रिझाया—

​पद्मश्री सोमा घोष के साथ ही सुभद्रा देसाई, रश्मि अग्रवाल और विद्या शाह ने साथ में एक ही गीत 'रसिया को नार बनाओ रे...' गाया तो तमाम श्रोता पहले हतप्रभ हुए, फिर झूम उठे। दरअसल, चारों अलग—अलग विधाओं की गायिकाओं ने एक ही गाना, एक ही धुन पर अपने—अपने अंदाज में पेशकर अनूठी मिसाल पेश की। --


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