Type Here to Get Search Results !

एमजीएसयू में हुई मुद्राशास्त्र और संग्रहालय संरक्षण पर राष्ट्रीय कार्यशाला

🔆एमजीएसयू में हुई मुद्राशास्त्र और संग्रहालय संरक्षण पर राष्ट्रीय कार्यशाला ✳️विश्व धरोहर संरक्षण सप्ताह के तहत हुआ आयोजन  ✴️



एमजीएसयू में हुई मुद्राशास्त्र और संग्रहालय संरक्षण पर राष्ट्रीय कार्यशाला 
विश्व धरोहर संरक्षण सप्ताह के तहत हुआ आयोजन  

मुद्राऐं इतिहास लेखन और कालक्रम निर्देशन में प्रमाणित साक्ष्य के रूप में स्वीकारी गई हैं : ज़फर उल्लाह ख़ान

संस्कृति और प्राचीन धरोहर के प्रतिबिंब हैं हमारे संग्रहालय : डॉ॰ मेघना शर्मा  

सिक्के भी निहित आकृतियों के माध्यम से देते आयें हैं पर्यावरण संरक्षण के संदेश : प्रो॰ अनिल कुमार छंगाणी




बीकानेर 
एमजीएसयू के सेंटर फॉर म्यूज़ीयम एंड डॉक्युमेंटेशन के बैनर तले विश्व धरोहर संरक्षण सप्ताह के अंतर्गत एक दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला आयोजित की गई।


आयोजन सचिव सेंटर की डाइरेक्टर डॉ॰ मेघना शर्मा ने बताया कि उक्त कार्यशाला इतिहास विभाग के संयुक्त तत्त्वावधान में मुद्राशास्त्र व संग्रहालय संरक्षण पर आयोजित की गई जिसमें जयपुर के पुरातत्व व संग्रहालय विभाग के पूर्व उत्खनन अधीक्षक डॉ॰ ज़फर उल्लाह ख़ान ने बीज वक्ता की भूमिका का निर्वहन करते हुये भारत की प्राचीन मुद्राओं को पहचानने, उनकी लिपि को पढ़ने व संग्रहालयों में उनके प्रदर्शन की तकनीक को लेकर मुख्य रूप से अपना उद्बोधन दिया । 


उद्घाटन समारोह के बाद कार्यशाला में दो तकनीकी सत्र रखे गये जिसमें उन्होंने बताया कि कि हम जितना प्रकृति के नज़दीक रहेंगे उतने ही अधिक स्वस्थ होंगे। 

आपने बताया कि मुद्राओं का डिजिटलाईजेशन किया गया है जिसकी प्रक्रिया के तहत मालूम पड़ा कि भिन्न भिन्न काल के सिक्कों पर शिवलिंग, नृत्य करते हुये शिव, खरगोश, कोबरा, हाथी, चूहे, गेहूं की बालियों व सूर्य जैसी प्राकृतिक अवयवों का अंकन मिलता है। ज़फर उल्लाह ख़ान द्वारा कालीबंगा में भगवान राम की आकृति वाले टेराकोटा सिक्कों की खोज की गई। 


विद्यार्थियों में से खुशबू तेजी, मनोज मीणा, पवन सारस्वत व गौतम आचार्य ने तकनीकी सत्रों में विषय विशेषज्ञ से प्रश्न पूछकर अपनी जिज्ञासाओं को प्रकट किया व संबद्ध विषय पर विस्तृत जानकारी प्राप्त की।


इतिहास विभाग के अध्यक्ष प्रो॰ अनिल कुमार छंगाणी ने स्वागत उद्बोधन देते हुये बताया कि सिक्के भी निहित आकृतियों के माध्यम से सदियों से पर्यावरण संरक्षण के संदेश देते आयें हैं।  


राष्ट्रीय कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुयें कुलपति प्रो॰ विनोद कुमार सिंह ने कहा कि समय आ गया है कि अब हम अपनी प्रकृति और प्राचीन धरोहर को संरक्षित रखने हेतु तत्पर हों नहीं तो विश्व को भविष्य में भी कोरोना जैसी विपदाएं भुगतनी पडेंगी। 


आयोजन का संचालन बीकानेर के पुरातत्ववेत्ता डॉ॰ रितेश व्यास ने किया। कार्यशाला में प्रो॰ राजाराम चोयल, डॉ॰ सीमा शर्मा, डॉ॰ गौतम मेघवंशी, डॉ॰ अभिषेक वशिष्ठ, डॉ॰ प्रगति सोबती, डॉ॰ संतोष कंवर शेखावत, डॉ॰ राकेश किराडू, डॉ॰ मदन राजोरिया, डॉ॰ मीनाक्षी शर्मा व महेन्द्रा पंचारिया आदि के अलावा कार्यशाला में बी. जे. एस. रामपुरिया कॉलेज, बिन्नाणी कॉलेज , सिस्टर निवेदिता कॉलेज, श्री जैन महिला महाविद्यालय के अतिरिक्त महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों से भी भारी संख्या में विद्यार्थियों द्वारा सहभागिता निभाई गई। 


आभार प्रदर्शन कुलसचिव अरुण कुमार शर्मा द्वारा किया गया।













*खबरों में बीकानेर*

✍️



Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

Top Post Ad

Below Post Ad

Hollywood Movies