✳️बीमार होने की मुख्य वजह है हमारी कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता
एमजीएसयू में विश्व रोगाणु रोधक जागरूकता व्याख्यान ✴️🔆
*खबरों में बीकानेर*
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बीमार होने की मुख्य वजह है हमारी कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता
एमजीएसयू में विश्व रोगाणु रोधक जागरूकता व्याख्यान
महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय, बीकानेर के सूक्ष्मजीव विज्ञान विभाग द्वारा विश्व रोगाणु रोधक जागरूकता सप्ताह-2022 के तहत दिनांक 24.11.2022 का आयोजित व्याख्यान में कुलपति प्रो. वी.के सिंह द्वारा बताया गया की किस प्रकार भारत की आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्वती व योग का हमारे जीवन व स्वास्थ्य के लिए महत्त्व हैं तथा इनको अपने जीवन का हिस्सा बनाकर हम रोग मुक्त समाज स्थापित कर सकते है।
प्रो. सिंह ने इस अवसर पर सूक्ष्मजीव विज्ञान विभाग के संकाय सदस्यों व विद्यार्थियों की गोदित गांव के वासियों व शहर के आमजनों में स्वास्थ्य संबंधित जागरूकता फैलाने के लिए समय-समय पर किए गए कार्यो की सराहना की। इस कार्यक्रम मे सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज के सूक्ष्मजीव विज्ञान एवं इम्यूनालॉजी विभाग के पूर्व वरिष्ठ आचार्य डॉ. बी.पी. शर्मा ने जीवाणुरोधी दवाओं के उपयोग से संबंधित जानकारी द्वारा उपस्थित प्रतिभागियों मे जागरूकता फैलाने के लिए विस्तृत व्याख्यान दिया।
प्रो. शर्मा ने बताया कि जीवाणुरोधी दवाएं बिना भेदभाव के अच्छे और हानिकारक दोनो ही जीवाणुओं को नष्ट कर देती हैं तथा हमारे शरीर की रोगाणुरोधी क्षमता को भी नुकसारन पंहुचाती है। उन्होनें अवगत कराया कि जीवाणुरोधी दवाओं का उपयोग बीमारी की उपयुक्त जांच उपरांत किया जाना चाहिए।
उन्होंने अपने उद्बोधन में यह भी बताया कि मनुष्य के बीमार होने की मुख्य वजह जीवाणु तथा अन्य हानिकारक सूक्ष्मजीव नहीं है बल्कि हमारी कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता है। अतः स्वस्थ रहने के लिए हर मनुष्य को अपनी दैनिक चर्या में सुधार करते हुए अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को उचित स्तर पर लाने की आवष्यकता है जिससे की रोग मुक्त जीवन प्राप्त किया जा सके तथा हमारी सूक्ष्मजीवरोधी दवाओं पर निर्भरता कम से कम हो सके।
कार्यक्रम के दौरान पधारे हुए अतिथियों व प्रतिभागियों का स्वागत सूक्ष्मजीव विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. राजाराम चोयल ने किया। कार्यक्रम के आयोजन सचिव डॉ. गौतम कुमार मेघवंषी द्वारा विषय प्रवर्तन करते हुए कार्यक्रम की संकल्पना व आवष्यकता पर प्रकाष डाला गया। कार्यक्रम का संचालन, आयोजन प्र्रभारी डॉ. धर्मेष हरवानी द्वारा सफलतापूर्वक किया गया। इस कार्यक्रम में विष्वविद्यालय के अन्य विभागों के विभागाध्यक्ष, संकाय सदस्य, अधिकारी, कर्मचारी, शोधार्थी व विद्यार्थी उपस्थित रहे।
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