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डेंगू : सोशल मीडिया की अपील से रात में ही ब्लड बैंक पहुंच गए
युवती की ब्लीडिंग से हालत थी गंभीर, समय पर एसडीपी चढ़ने से जान बची
18 वर्षीय बिटिया की एमरजेंसी के लिए अनजान भाई अनुज जैन ने देर रात की एसडीपी डोनेट, सोशल मीडिया की अपील से रात में ही एमबीएस ब्लड बैंक आये अनुज
बिटिया की ब्लीडिंग से हालत थी गंभीर, उचित समय पर एसडीपी चढ़ने से जान बची।
कोटा में ड़ेंगू थमने का नाम नही ले रहा। ऐसे में बराबरी से लोग भी मदद करने में पीछे नही है। जब भी ब्लड प्लेट्लेट्स की कोई डिमांड आती है तो सोशल मीडिया सबसे श्रेष्ठ प्लेटफॉर्म बनकर मदद हेतु मध्यस्थता करता है। आमजन संदेश को वायरल कर मददगार को ज़रूरतमंद तक पहुंचाने में सक्रिय भूमिका निभाते है। ऐसा ही एक वाकया और देखने को मिला । टीम जीवनदाता के संस्थापक व लायंस क्लब कोटा टेक्नो के डायरेक्टर भुवनेश गुप्ता बताते है कि पारीक अस्पताल में भर्ती शिवपुरा निवासी बिटिया बी पॉजिटिव मूमल झाला (17) ड़ेंगू से लड़ते लड़ते गंभीर अवस्था में आ गयी औऱ प्लेट्लेट्स गिरकर 6000 रह गए। किट की क़िल्लत , उचित डोनर की तलाश व देर होती हुई रात पिता राजेन्द्र सिंह झाला के लिए भारी सिर दर्द बन गयी। ऐसे में सोशल मीडिया सहारा बनी। उन्होंने सारी कहानी सोशल मीडिया पर पोस्ट ही की थी कि गुप्ता के पास माँ भारती एजुकेशन ग्रुप के निदेशक दिनेश विजय का कॉल और कई लोगो के मैसेज आ गए। देर रात गुप्ता ने अपने साथी टीम जीवनदाता के सक्रिय सदस्य मनीष माहेश्वरी से इस विषय पर चर्चा की। मनीष ने फ़ौरन अपने मित्र अनुज जैन से बात की और मैसेज भेजा। दोनों गुप्ता के साथ देर रात 12 बजे एमबीएस ब्लड बैंक पहुंचे और अनुज ने एसडीपी डोनेट कर 2 बजे फ्री हुवे। मनीष माहेश्वरी व भुवनेश गुप्ता ने पूर्ण व्यवस्था कर ज़ल्द एसडीपी प्रक्रिया करवा दी। पिता ने बाद में बताया कि तुरंत एसडीपी चढ़ते ही बिटिया रिकवर करने लगी और अब वो सामान्य अवस्था मे आ चुकी है। उनका कहना था कि बेटी के लिए भगवान ने अनजान भाई को भेजा है। अनुज पूर्व में भी 11 बार रक्तदान व 3 बार एसडीपी दे चुके है। मानवता को परम धरम मानने वाले अनुज जैन सदैव सामाजिक सेवा कार्यों में अग्रणी रहते है।
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