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अनुवाद के स्टार्टअप विकास हेतु अनुदान देगा महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय प्रो0 एस. के. अग्रवाल


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अनुवाद के स्टार्टअप विकास हेतु अनुदान देगा महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय
प्रो0 एस. के. अग्रवाल

 बीकानेर 27 नवम्बर, “राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2021 के अनुरूप विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग ने पाठ्यक्रमों में आमूलचूल परिवर्तन किया है। अब विश्वविद्यालय द्वारा अनुवाद संस्थापन के स्टार्टअप प्रोत्साहित करवाने हेतु अनुदान राशि भी उपलब्ध करवाई जायेगी। इससे बीकानेर एवम् अन्यत्र कम्यूनिकेशन सेंन्टर एवम् नोलेज-ट्रांसलेशन सें सेंटर की स्थापना हो सकेगी। इससे शोध को भी बढ़ावा मिलेगा।” उपर्युक्त विचार अंग्रेजी के विभागाध्यक्ष एवम् वेबिनार के निदेशक प्रो0 एस. के. अग्रवाल ने महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग एवम् केन्द्रीय विश्वविद्यालय, हरियाणा के अंग्रेजी एवम् विदेशी भाषा विभाग के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित “भारतीय स्वाधीनता संग्राम में अनुवाद की भूमिका का स्मरण” विषयक अर्न्तराष्ट्रीय वेबिनार के समापन सत्र में व्यक्त किये।
 समापन सत्र की अध्यक्षता करते हुए केन्द्रीय विश्वविद्यालय, हरियाणा के कुलपति प्रो0 टंकेश्वर कुमार ने कहा कि समय आ गया है कि अब हम विश्वविद्यालयों के अंग्रेजी एवम् अन्य विदेशी विभागों को अनुवाद संस्थान के रूप में विकसित करें। वर्तमान शिक्षा नीति ने अंग्रेजी कौशल के महत्व में अभिवृद्धि ही की है क्योंकि नई शिक्षा नीति अपेक्षा करती है कि अंग्रेजी एवम् विदेशी भाषाओं का भारत में अध्यापन भारतीय संस्कृति की महत्ता से विदेशी जनों को अवगत कराने के लिये हो। इस आमूलचूल परिवर्तन को अमली जामा पहनाना होगा। केन्द्रीय सरकार इस सम्बन्ध में प्रयासरत है, परिणाम स्वरूप केन्द्रीय विश्वविद्यालयों के अंग्रेजी के पाठ्यक्रम में अनुवाद को उचित स्थान मिला है। 
 कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, शिमला के पूर्व कुलपति प्रो0 एस.डी. शर्मा ने कहा कि अनुवाद भारत में अंग्रेजी से हिन्दी एवम् हिन्दी से अंग्रेजी या अन्य किसी भाषा में मात्र भाषान्तरण ही नहीं है, अपितु भाषा से सम्बद्ध संस्कृति का वाहक भी है। अनुवाद की इस भारतीय परम्परा को सृदृढ़ किये जाने की आवश्यकता है। भाषान्तरण अनुवाद का पर्याय नहीं है, अनुवाद ने एक सेतु का काम किया है, अनुवाद के माध्यम से विभिन्न क्षेत्र, प्रान्त एवम् वर्ग के भारतीय जनमानस ने एक दूसरे को समझा है। 
 कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि महात्मा गाँधी अर्न्तराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय, वर्धा के उप कुलपति प्रो0 हनुमान प्रसाद शुक्ल ने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि महात्मा गाँधी अर्न्तराष्ट्रीय हिन्दी विश्वद्यिालय, वर्धा देश के उन गिने चुने विश्वविद्यालयों में है जिन्होने एक स्वतंत्र अनुवाद विभाग की स्थापना की है। विश्वविद्यालय के अनुवाद विभाग ने कई प्रोजेक्ट्स पूर्ण किये है और वर्तमान में 20वीं सदी के प्रख्यात दार्शनिक एवम् साहित्यिक आलोचक कुमार स्वामी के अंग्रेजी में लिखित साहित्य का हिन्दी भाषा में अनुवाद किया जा रहा है। 
 समापन सत्र् में बोलते हुए केन्द्रीय हिन्दी संस्थान, आगरा के पूर्व निदेशक प्रो0 नन्द कुमार पाण्डे ने कहा कि उनके संस्थान में अध्यक्ष रहने के दौरान विभिन्न क्षेत्रीय भाषाओं का हिन्दी एवम् अंग्रेजी में अनुवाद करवाया गया। इस दौरान उन्हें यह नजदीकी से सीखने का मौका मिला कि भारतीय क्षेत्रीय भाषायें अंग्रेजी से बहुत अधिक समृद्ध है, भाषा की यह समृद्वता भारतीय संस्कृति की समृद्धता को अभिव्यक्त करती है।
 इससे पूर्व जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के अंग्रेजी एवम् विदेशी भाषा संस्थान के अध्यक्ष प्रो0 धनन्जय सिंह, चौधरी देवीलाल विश्वविद्यालय, सिरसा के डीन (शैक्षणिक) प्रो0 उम्मेद सिंह, राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर की अंग्रेजी विभागाध्यक्ष प्रो0 दीपा माथुर, राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर की ही प्रो0 सुनीता अग्रवाल एवम् डॉ0 ब्रजरतन जोशी, डूंगर महाविद्यालय के व्याख्यान हुए।
 समापन सत्र् का संचालन केन्द्रीय विश्वविद्यालय, हरियाणा के मनोज कुमार ने किया। संचालन महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय अंग्रेजी विभाग की सहायक आचार्य डॉ0 सीमा शर्मा, डॉ0 प्रगति सोबती एवम् डॉ0 संतोष कँवर शेखावत ने किया। तकनीकी सहयोग राम किशोर यादव, प्रूकैफ उस्ता एवम् संदीप ने किया।




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