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वर्तमान परिप्रेक्ष्य में गांधी दर्शन की प्रासंगिकता पर राष्ट्रीय वेबीनार गांधी जी का जीवन दर्शन भारतीय समाज की आत्मा- डॉ. कल्ला

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🔊 वर्तमान परिप्रेक्ष्य में गांधी दर्शन की प्रासंगिकता पर राष्ट्रीय वेबीनार
गांधी जी का जीवन दर्शन भारतीय समाज की आत्मा- डॉ. कल्ला


 

 

 

 

 

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🔊 वर्तमान परिप्रेक्ष्य में गांधी दर्शन की प्रासंगिकता पर राष्ट्रीय वेबीनार
गांधी जी का जीवन दर्शन भारतीय समाज की आत्मा- डॉ. कल्ला

जयपुर, 01 अक्टूबर। कला, साहित्य एवं संस्कृति मंत्री डॉ. बीडी कल्ला ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी का जीवन दर्शन भारतीय समाज की आत्मा है। उन्होंने पीड़ित मानवता की सेवा का संदेश दिया और एक ऐसे समाज की कल्पना की जिसमें समानता एवं सबको साथ लेकर चलने की भावना हो।

डॉ. कल्ला गुरूवार को गांधी जंयती की पूर्व संध्या पर मुख्यमंत्री निवास से 'वर्तमान परिप्रेक्ष्य में गांधी दर्शन की प्रासंगिकता-सत्याग्रह-सर्वाेदय-सर्वधर्म समभाव' विषयक राष्ट्रीय वेबीनार को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सत्याग्रह, सर्वोदय एवं सर्वधर्म समभाव जैसे गांधीजी के विचार आज भी प्रासंगिक है और समाज को जागृत करने वाले हैं। अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई में सत्याग्रह के प्रयोग से गांधीजी ने बताया कि सत्य पर कायम रहते हुए अपने हक की लड़ाई लड़ने वाला निश्चित ही अपने लक्ष्य को प्राप्त करता है।

वेबीनार में प्रख्यात गांधीवादी चितंक डॉ. एसएन सुब्बाराव ने कहा कि भारत गांधी का देश है, यहां जाति और धर्म के नाम पर किसी तरह की हिंसा नहीं होनी चाहिए। व्यावहारिक रूप में अपनाए बगैर सर्वधर्म समभाव कारगर नहीं है। उन्होंने प्रदेश के गांव-गांव में सर्वधर्म प्रार्थनाओं का आयोजन करने के साथ ही गांधीजी की 150वीं जयंती के आयोजन पूरे होने के बाद भी गांधी दर्शन एवं उनके विचारों को आगे बढ़ाने के प्रयासों पर बल दिया।

मुख्य वक्ता एवं गांधीवादी विचारक प्रो. रामजी सिंह ने कहा कि आज देश में शांति कायम करने के लिए सर्वधर्म समभाव के साथ सभी को मिलकर रहने की जरूरत है। उन्होंने सत्याग्रह को गांधीजी द्वारा विश्व को दी गई महत्वपूर्ण सौगात बताया। उन्होंने कहा कि आज के दौर में युद्ध नहीं बल्कि शांति ही विकल्प है। गांधीवादी विचारक श्रीमती शीला रॉय ने कहा कि गांधीजी ने सत्याग्रह रूपी अमोघ अस्त्र ने दिया जिसका विश्व स्तर पर कोई विकल्प आज भी नहीं है। उनके द्वारा पढाए गए आत्मसंयम के पाठ को आज आत्मसात करने की जरूरत है।

राज्य के पूर्व महाधिवक्ता श्री जीएस बाफना ने कहा कि गांधीजी के सपनों का भारत बनाने के लिए हमें उनके जीवन दर्शन एवं विचारों को अमल में लाने की इच्छाशक्ति दिखानी होगी।

इस अवसर पर डॉ. कल्ला एवं अन्य अतिथियों ने राजस्थान सहित्य अकादमी द्वारा प्रकाशित ‘मधुमती’ पत्रिका के गांधी विशेषांक, सिन्धी अकादमी के ई-पोस्ट कार्ड तथा गांधी स्तवन विशेषांक का लोकार्पण किया। इससे पहले वेबीनार की शुरूआत करते हुए शासन सचिव, कला एवं संस्कृति श्रीमती मुग्धा सिन्हा ने कहा कि गांधी दर्शन हमें चिन्तन के नए आयाम प्रदान करता है। वेबीनार के अंत में महात्मा गांधी जीवन दर्शन समिति के प्रदेश प्रभारी श्री मनीष शर्मा ने सभी अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित किया।



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🙏 वर्तमान परिप्रेक्ष्य में गांधी दर्शन की प्रासंगिकता पर राष्ट्रीय वेबीनार

गांधी जी का जीवन दर्शन भारतीय समाज की आत्मा
- कला, साहित्य एवं संस्कृति मंत्री


जयपुर, 01 अक्टूबर। कला, साहित्य एवं संस्कृति मंत्री डॉ. बीडी कल्ला ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी का जीवन दर्शन भारतीय समाज की आत्मा है। उन्होंने पीड़ित मानवता की सेवा का संदेश दिया और एक ऎसे समाज की कल्पना की जिसमें समानता एवं सबको साथ लेकर चलने की भावना हो।

डॉ. कल्ला गुरूवार को गांधी जंयती की पूर्व संध्या पर मुख्यमंत्री निवास से श्वर्तमान परिप्रेक्ष्य में गांधी दर्शन की प्रासंगिकता-सत्याग्रह-सर्वोदय-सर्वधर्म समभावश् विषयक राष्ट्रीय वेबीनार को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सत्याग्रह, सर्वोदय एवं सर्वधर्म समभाव जैसे गांधीजी के विचार आज भी प्रासंगिक है और समाज को जागृत करने वाले हैं। अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई में सत्याग्रह के प्रयोग से गांधीजी ने बताया कि सत्य पर कायम रहते हुए अपने हक की लड़ाई लड़ने वाला निश्चित ही अपने लक्ष्य को प्राप्त करता है।

वेबीनार में प्रख्यात गांधीवादी चितंक डॉ. एसएन सुब्बाराव ने कहा कि भारत गांधी का देश है, यहां जाति और धर्म के नाम पर किसी तरह की हिंसा नहीं होनी चाहिए। व्यावहारिक रूप में अपनाए बगैर सर्वधर्म समभाव कारगर नहीं है। उन्होंने प्रदेश के गांव-गांव में सर्वधर्म प्रार्थनाओं का आयोजन करने के साथ ही गांधीजी की 150वीं जयंती के आयोजन पूरे होने के बाद भी गांधी दर्शन एवं उनके विचारों को आगे बढ़ाने के प्रयासों पर बल दिया।

मुख्य वक्ता एवं गांधीवादी विचारक प्रो. रामजी सिंह ने कहा कि आज देश में शांति कायम करने के लिए सर्वधर्म समभाव के साथ सभी को मिलकर रहने की जरूरत है। उन्होंने सत्याग्रह को गांधीजी द्वारा विश्व को दी गई महत्वपूर्ण सौगात बताया। उन्होंने कहा कि आज के दौर में युद्ध नहीं बल्कि शांति ही विकल्प है। गांधीवादी विचारक श्रीमती शीला रॉय ने कहा कि गांधीजी ने सत्याग्रह रूपी अमोघ अस्त्र ने दिया जिसका विश्व स्तर पर कोई विकल्प आज भी नहीं है। उनके द्वारा पढाए गए आत्मसंयम के पाठ को आज आत्मसात करने की जरूरत है।

राज्य के पूर्व महाधिवक्ता श्री जीएस बाफना ने कहा कि गांधीजी के सपनों का भारत बनाने के लिए हमें उनके जीवन दर्शन एवं विचारों को अमल में लाने की इच्छाशक्ति दिखानी होगी।

इस अवसर पर डॉ. कल्ला एवं अन्य अतिथियों ने राजस्थान सहित्य अकादमी द्वारा प्रकाशित ‘मधुमती’ पत्रिका के गांधी विशेषांक, सिन्धी अकादमी के ई-पोस्ट कार्ड तथा गांधी स्तवन विशेषांक का लोकार्पण किया। इससे पहले वेबीनार की शुरूआत करते हुए शासन सचिव, कला एवं संस्कृति श्रीमती मुग्धा सिन्हा ने कहा कि गांधी दर्शन हमें चिन्तन के नए आयाम प्रदान करता है। वेबीनार के अंत में महात्मा गांधी जीवन दर्शन समिति के प्रदेश प्रभारी श्री मनीष शर्मा ने सभी अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित किया।


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