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संत श्री लाल बाबाजी
ब्रह्मलीन!
अंतिम यात्रा आज दोपहर 2 बजे सियाणा भैरव सदन नत्थूसर गेट से सतोलाई मोक्षधाम जायेगी
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🔊 संत श्री लाल बाबाजी
ब्रह्मलीन ! अंतिम यात्रा आज दोपहर 2 बजे सियाणा भैरव सदन नत्थूसर गेट से सतोलाई मोक्षधाम जायेगी ● बीकानेर सहित देश भर के शिष्य-अनुयायी, प्रशंसक स्तध- मर्माहत ● अंतिम यात्रा आज दोपहर 2 बजे सियाणा भैरव सदन नत्थूसर गेट से सतोलाई मोक्षधाम जायेगी ● अनेक विशिष्टजन अंतिम दर्शनार्थ आएंगे * बीकानेर। राष्ट्रसंत, अनन्य भैरव
उपासक संत श्री लाल बाबाजी शनिवार देर
साँय ब्रह्मलीन हो गये। वे 83 वर्ष के थे।
पिछले कुछ समय से अस्वस्थ लाल बाबाजी
का पीबीएम में उपचार चल रहा था।
संत श्री लाल बाबाजी के आकस्मिक
निधन से पूरा नगर स्तध और शोकविह्लल
हो गया। देश भर में बाबाजी के हज़ारों
अनुयायी , शिष्य व प्रशंसक भी शोक में डूब
गए। सभी राजनीतिक दलों के राजनेताओं ने
उनके निधन पर शोक जताया। पारिवारिक
सूत्रों ने बताया कि बाबाजी की अंतिम यात्रा
दोपहर 2 बजे नत्थूसर गेट स्थित सियाणा
भैरू सदन से रवाना होकर सतोलाई श्मशान
घाट जायेगी। अपने आराध्य को अंतिम
विदाई देने गुजरात, महाराष्ट्र, दिल्ली, जोधपुर,
बोटाड़ आदि जगहों से बाबाजी के अनुयायी
पहुंचेंगे। तीये की बैठक सोमवार शाम 5
बजे नत्थूसर गेट पर रखी गई है। इससे पूर्व
शनिवार को उनकी पार्थिव देह को दर्शनार्थ
सियाणा भैरव सदन में रखा गया जहां बड़ी
तादाद में उनके शिष्य, प्रशंसक व आम
नागरिक उमड़ पड़े।
कठोर संघर्षों में पाई सिद्धि
4 मई 1937 को संत लाल बाबाजी
का जन्म वियात तंत्रवेत्ता बीकानेर के राज
ज्योतिषी रमणलाल जी किराड़ू एवं माता मघी
देवी के परिवार में हुआ। उनका सांसारिक
नाम बुलाकीदास किराड़ू था। बाबाजी का
सांसारिक जीवन काल कठोर संघर्षों से
गुजरा। सांसारिक धर्मपत्नी के दुखद निधन
के बाद उन पर लांछन भी लगे। लेकिन
बाइज़्ज़्ात बरी होने के बाद उन्होंने साधना,
भैरव उपासना व तपस्या से तंत्र, मंत्र व
ज्योतिषक्षेत्र में जो मुकाम हासिल किया
उससे न सिर्फ अध्यात्म क्षेत्र बल्कि
राजनीतिक गलियारों तक बड़ी बड़ी हस्तियां
उनका सान्निध्य प्राप्त करती थीं। देश-विदेश
के अनेकों राजनेताओं ने उनका अंतरंग
शिष्यत्व प्राप्त किया था।
अपने आराध्य का भव्य मंदिर जीर्णोद्धार-नवनिर्माण करवाया
संत लाल बाबाजी ने जीवनकाल में शताधिक भैरव पुरश्चरण महायज्ञ
संपन्न कराए। जिसमें बड़ी बड़ी हस्तियों ने सम्मिलित होकर गौरव का अनुभव
किया। लाल बाबाजी का सबसे बड़ा अवदान अपने आराध्य सियाणा ग्राम
स्थित सियाणा कोडाणा भैरव के भव्य मंदिर का निर्माण, जीर्णोद्धार कराना था।
तीर्थनगरी श्रीकोलायत तहसील स्थित इस धाम में दर्शन करने दूर दूर से श्रद्धालु
आते हैं। लाल बाबाजी के परिवार में भाई सूरजकरण, दुर्गादास, हनुमान दास,
सत्यनारायण व बहिन कमला देवी, उनके पुत्र पुत्रियाँ आदि हैं। लाल बाबाजी
ने अपने जीवन काल में कोई आश्रम आदि नहीं बनाया। उनका निवास ही
उनकी साधना स्थली रही।
'यार की मौजÓ संबोधन से विख्यात संत लाल बाबाजी अपने शिष्यों
को 'मौज करोÓ का आशीर्वाद ही देते थे। युगपक्ष परिवार से भी उनके अभिन्न
संबंध थे। उनकी अधिकतर चर्चित भविष्यवाणियाँ युगपक्ष में ही प्रकाशित हुईं।
उनका आशीर्वाद परिवार को सदैव मिलता रहा।
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