Type Here to Get Search Results !

हां कोई और हैं वो

इस सभ्य युग से घृणा करने वाले/वालों को खोजने निकल पड़े हैं लोग
तलाशा जा रहा है उन्हें शवों के जंगल में जहां बीज नहीं भंग-अंग रौपे जाते हैं
शव मुस्करा रहे हैं घृणित को खोजने वालों पर और बतिया रहे हैं अपने बीच फल-फूल रहे जानवरों से
वहीं-कहीं शव में तब्दील होने से बचा और दुबका मैं और मुझ जैसे मेरे साथी थरथरा रहे हैं इस भय से कि हैवानों को खोज रहे लोग कहीं हमें भी जकड़ न लें अपने कुत्सित विचारों की जंजीरों से और दे दें हम सभी को शवों के मध्य जीने का दुस्साहस करने का दंड
हम भयभीत हैं और यह भी जानते हैं कि सभ्य युग से घृणा करने वाले/वालों को नागवार होता है शवों के बीच श्वास लेना
किंतु हम किसे बताएं कि सभ्य युग के शत्रु हममें से कोई नहीं; वे यहां मुर्दों में नहीं रहते
हां कोई और हैं वो जो अपनी ही कल्पित दुनिया में बस रहे हैं; भर रहे हैं दिमागों में जहर और तालाबों में रक्त; काट रहे हैं सभ्यता के अंग और बनाने में जुटे हैं शवों के जंगल
हां वे मानव तो कदापि नहीं कोई और हैं वो
- मोहन थानवी 21/6/17 1:10 pm bikaner

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

Top Post Ad

Below Post Ad

Hollywood Movies