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कर्म बिना फल का नहीं होता...



जीवन प्रबंधन से ही व्यवस्थित और सुखमय हो सकता है। बिना प्रबंधन के तो चींटी
भी नहीं जीती। चींटी ही क्यों, प्रत्येक प्राणी को समूह में जीते ही हम देखते
हैं। ऐसा कोई प्राणी नहीं जो अकेला जीता हो या आज तक जीया हो। पेड़-पौधों को भी
समूह में लहलहाना अच्छा लगता है क्योंकि वे भी बीज रूप से प्रस्फुटित होने से
लेकर मुरझाने तक एक कुषल प्रबंधन प्रणाली से विकसित होते हैं, फल देते हैं।
जीवन का मकसद ही फल देना है। गीता का संदेश है, कर्म किए जाओ फल की इच्छा मत
करो... साथ ही यह भी कोई भी कर्म बिना फल का नहीं होता।

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