साजिश में मशगूल /
साजिशी को फुर्सत नहीं थी /
सज्जन साजगिरी गुंजाता /
सादगी से 'पार ' पहुँच गया...
......( दूसरो को भटकाने वाला अपने ही
लक्ष्य से भटक जाता है और कभी मंजिल तक नहीं पहुचता जबकि अपने काम से काम रखते
हुव़े लगातार लक्ष्य की ओर बढ़ने वाले को निश्चय ही मंजिल मिल जाती है...)
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