ख़ामोशी के सुर ...
अच्छे लगते है ...
चुप रहके भी ...
बहुत कहते हैं ...
जुबां फिसलती नहीं ...
...फिसलने के बहाने ...
किस्सा -ऐ -दिल बनते हैं ...
आवाजों के जंगल मे ...
ख़ामोशी के मकान बनते हैं ...
ख़ामोशी के सुर ... अच्छे लगते हैं ...
'वो ' उनसे कुछ कहते नहीं ...
'वे ' फिर भी 'उनकी अनकाही को सुनते हैं
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