वरिष्ठ साहित्यकार लक्ष्मीनारायण रंगा की 11 पुस्तकों का लोकार्पण

बीकानेर। रविवार शाम धरणीधर रंगमंच पर वरिष्ठ साहित्यकार लक्ष्मीनारायण रंगा की 11 पुस्तकों का लोकार्पण अतिथियों ने किया । कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉ अर्जुन देव चारण ने कहा कि साहित्य क्षेत्र के पुरोधा लक्ष्मीनारायण रंगा ने नाटक, काव्य, गीत, बाल कथाएं, लोक कथाएं आदि में इतना लिखा है जिसका कोई अनुमान नहीं लगाया जा सकता। सही मायनों में ऋषि परम्परा के संवाहक हैं लक्ष्मीनारायण रंगा। भवानीशंकर व्यास 'विनोद ने कहा कि बीकानेर का रंगकर्म शताब्दी वर्ष चल रहा है। 100 वर्ष पहले बीकानेर में नाटक मंचन की शुरुआत हुई थी और इस ऐतिहासिक अवसर पर रंगकर्मी लक्ष्मीनारायण रंगा की 11 पुस्तकों का एक साथ लोकार्पण होना और भी गौरव की बात है। आचार्य ने कहा कि 85 वर्ष की उम्र में भी उत्साह के साथ अनवरत लिखना बहुत बड़ी बात है। डॉ. बृजरतन जोशी ने कहा कि रंगकर्मी रंगा की हिन्दी व राजस्थानी में लिखी गई पुस्तकें सात्विक और स्वतंत्रता के बोध को दर्शाती है।स्वागत भाषण कमल रंगा ने दिया । कार्यक्रम में 11 पाठकों को सुद्धि पाठकों को सम्मानित किया गया ।

इन 11 पुस्तकों का हुआ लोकार्पण
 सदियों का सूरज, दर्द की सतहों पर, आज का एकलव्य, टुकड़ा-टुकड़ा चेहरा, बूंद-लहर-समन्दर, आदमी की नीलामी, सदियां री पीड़, रचे मौत इतिहास, राजस्थानी के अमर साधक डॉ. एल.पी. टैस्सीटोरी, योद्धा संन्यासी तथा चैटिंग कर्यो न कोय

इन संस्थाओं ने किया रंगा का सम्मान- नालन्दा शाला परिवार, बुनियाद, रंगाज फिजिकल इंस्टीट्यूट, शान्ति प्रतिष्ठान से डॉ. पी.सी. तातेड़, करुणा इंटरनेशनल से जतन दूगड़, नेमीचन्द गहलोत, शिवरंजनी तथा उपस्थित जनों ने माल्यार्पण कर वरिष्ठ साहित्यकार लक्ष्मीनारायण रंगा को सम्मानित किया।