संदेश

रवींद्र रंगमंच के लिए एक आंदोलन ऐसा भी...

आकाश मेरा है "नारी की ये कहानी नहीँ हकीकत है"

पनघट पर परंपरा मुंह छुपाए खड़ी

मित्र सुरेश की काव्य पंक्तियां...

जायसी का बारहमासा :: Pressnote.in

नाटक - कितना-सा द्वंद्व :: Pressnote.in

दर्द...दर्द

नींद में जागा-जागा- सा... ...वह भागता रहा

वह यूं ही भागता रहा उसके पीछे.... उसकी चाहत बेनूर ही रही चुनाव होते रहे

चित्र-मंडित हो मूक रहे जो वह मेरा जीवन नहीं ( काव्यांश ...)

अध्यात्म और प्रबंधन - 1 कर्म, प्रबंधन और फल

ताउम्र साथ रहता है बचपन...

परवाज के लिये कोंपलों के हौसले बुलंद है -- सम्मति - मीनाक्षी स्वर्णकार की काव्यकृति ‘‘कोंपलें’

परवाज के लिये कोंपलों के हौसले बुलंद हैसम्मति - मीनाक्षी स्वर्णकार की काव्यकृति ‘‘कोंपलें’

झोली भर दुखड़ा अ’र संभावनावां रा मोती (एक डाक्टर की डायरी)

पिता ऐसा ही कहते हैं

यत् ब्रह्माण्डे तत् पिण्डे

... क्यों, भला कैसे ?

‘रंगकर्म’ में भगवान भी माहिर

कोटिच्युत