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... तो क्या ठेकेदारी नहीं चलेगी...? बजट में केंद्रीय कर्मचारियों को मिलेगी गुड न्यूज?



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... तो क्या ठेकेदारी नहीं चलेगी...? 
बजट में केंद्रीय कर्मचारियों को मिलेगी गुड न्यूज?

कर्मचारियों के लिए खबर: 8वां वेतन आयोग को लेकर आई अब यह बड़ी खबर
8वां वेतन आयोग: बजट में केंद्रीय कर्मचारियों को मिलेगी गुड न्यूज?

बीकानेर । केंद्रीय कर्मचारियों ने सरकार से एक बार फिर आठवां वेतन आयोग बनाने की मांग की है। कर्मचारी संगठनों का कहना है कि महंगाई के इस दौर में वेतन, भत्ते और पेंशन में बढ़ोतरी जरूरी है। सरकार को यह मांग आगामी बजट 2024 से पहले मिली है। भारत का 2024-25 का बजट 23 जुलाई को लोकसभा में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पेश करेंगी। यह मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला पूर्ण बजट होगा।
केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनरों के हितों की रक्षा करने वाले कई संगठनों ने सरकार से मांग की है कि वह जल्द से जल्द आठवां वेतन आयोग गठित करे। इस आयोग का काम केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनरों के वेतन, भत्ते, पेंशन और अन्य लाभों में संशोधन की सिफारिश करना होगा।

 हाल ही में कन्फेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एम्प्लॉइज एंड वर्कर्स के महासचिव एस बी यादव ने कैबिनेट सचिव को पत्र लिखकर 8वें वेतन आयोग के गठन की मांग की।


इसके अलावा उन्होंने पुरानी पेंशन योजना (ह्रक्कस्) को बहाल करने, कर्मचारियों और पेंशनरों को 18 महीने के महंगाई भत्ते (ष्ठ्र) का भुगतान और कोविड-19 महामारी के दौरान रोकी गई राहत राशि जारी करने की भी मांग की। इससे पहले जॉइंट कंसल्टेटिव मशीनरी (छ्वष्टरू) की नेशनल काउंसिल (स्टाफ साइड) ने भी 8वें वेतन आयोग के गठन पर जोर दिया था।

कब बनता है केंद्रीय वेतन आयोग?


आमतौर पर हर दस साल में केंद्रीय वेतन आयोग का गठन किया जाता है। यह आयोग केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन, भत्ते और अन्य लाभों की समीक्षा करता है और उनमें संशोधन की सिफारिश करता है।

 ये सिफारिशें महंगाई और अन्य बाहरी फैक्?टरों को ध्यान में रखते हुए की जाती हैं। 7वें वेतन आयोग का गठन 28 फरवरी 2014 को तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने किया था।

 इसने 19 नवंबर, 2015 को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। 7वें केंद्रीय वेतन आयोग की सिफारिशें 1 जनवरी, 2016 से लागू हुई थीं।


इस पैटर्न को ध्यान में रखते हुए अगले यानी 8वें केंद्रीय वेतन आयोग को 1 जनवरी, 2026 से लागू किया जाना चाहिए।

 हालांकि, केंद्र सरकार ने अभी तक इस मोर्चे पर कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की है। देश के एक करोड़ से ज्यादा केंद्रीय कर्मचारी और पेंशनर सरकार की ओर से आठवें वेतन आयोग के गठन का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।


सिंघानिया एंड कंपनी की पार्टनर रितिका नय्यर के हवाले से इकनॉमिक टाइम्स ने बताया चूंकि यह बजट मोदी सरकार के लगातार तीसरी बार सत्ता में वापसी के बाद का पहला बजट होगा और वेतन आयोग की समयसीमा भी निकट आ रही है। ऐसे में चुनाव के बाद मध्यम वर्ग के वित्तीय हितों पर फोकस करने की जरूरत पर मिली प्रतिक्रिया सरकार को कम से कम इसकी तैयारी शुरू करने के लिए राजी कर सकती है। इसे तुरंत लागू करने से अर्थव्यवस्था को तो बढ़ावा मिल सकता है, लेकिन सरकारी खजाने पर भी दबाव बढ़ेगा।
र?ित?िका ने आगे कहा क?ि वैसे तो सरकारी कर्मचारियों को उम्मीद है और यूनियनें जनवरी 2026 में अपेक्षित 8वें वेतन आयोग के लिए मजबूती से वकालत कर रही हैं।

 लेकिन, आगामी बजट में इसकी औपचारिक घोषणा होने की संभावना कम ही दिख रही है। अतीत में भी घोषणा और कार्यान्वयन के बीच आमतौर पर कई वर्षों का अंतराल रहा है। अंतिम फैसला देश की आर्थिक स्थिति और सरकार की प्राथमिकताओं पर निर्भर करता है।


केंद्रीय कर्मचारी संगठनों ने अपनी कुछ अन्य मांगें भी सरकार के समक्ष रखी हैं। इनमें शामिल हैं:

1) एनपीएस को समाप्त किया जाए और सभी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना (ह्रक्कस्) को बहाल किया जाए।

2) कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को 18 महीने के महंगाई भत्ते (ष्ठ्र/ष्ठक्र) का भुगतान किया जाए जो कोविड-19 महामारी के दौरान फ्रीज कर दिया गया था। साथ ही, पेंशन के कम्यूट किए गए हिस्से को वर्तमान 15 साल के बजाय 12 साल बाद बहाल किया जाए।


3) अनुकंपा के आधार पर नियुक्तियों पर 5त्न की सीमा को हटाया जाए और मृतक कर्मचारी के सभी वार्डों/आश्रितों को अनुकंपा नियुक्ति प्रदान की जाए।


4) सभी विभागों में सभी कैडर के सभी रिक्त पदों को भरा जाए। साथ ही, सरकारी विभागों में आउटसोर्सिंग और ठेकेदारी पर रोक लगाई जाए।


5) जेसीएम तंत्र के प्रावधानों के अनुसार संघों/महासंघों के लोकतांत्रिक कामकाज को सुनिश्चित किया जाए।

6) कैजुअल, संविदाकार मजदूरों और जीडीएस कर्मचारियों को नियमित किया जाए। स्वायत्त निकायों के कर्मचारियों को केंद्रीय कर्मचारियों के समान दर्जा दिया जाए।

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