कृषि विज्ञान केंद्र किसानों, वैज्ञानिकों और कृषि विभाग के बीच की कड़ी, अधिक से अधिक नए किसान जुड़ें - डॉ. कैलाश चौधरी
कृषि विज्ञान केंद्र लूणकरनसर पर आज १५वीं वार्षिक वैज्ञानिक सलाहकार समिति बैठक का आयोजन किया गया। कृषि विज्ञान केंद्र की कार्ययोजना को और अधिक प्रभावशाली और विज्ञान-संगत बनाने के उद्देश्य से इस बैठक का आयोजन किया गया।
बैठक के अध्यक्ष कुलपति, स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय बीकानेर डॉ अरुण कुमार तथा मुख्य अतिथि संयुक्त निदेशक (कृषि) बीकानेर डॉ. कैलाश चौधरी रहे। साथ ही बैठक में निदेशक प्रसार शिक्षा स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय बीकानेर डॉ. सुभाष चंद्र, केंद्रीय शुष्क बागवानी संस्थान बीकानेर के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. शिव राम मीणा, क्षेत्रीय अनुसन्धान केंद्र भारतीय दलहन अनुसन्धान केंद्र बीकानेर के डॉ सुधीर कुमार, कृषि अनुसन्धान केंद्र के आचार्य डॉ. भूपेंद्र सिंह शेखावत, नाबार्ड बीकानेर के जिला विकास प्रबंधक डॉ. रमेश ताम्बिया, सहायक निदेशक (उद्यानिकी) डॉ. राजेश गोदारा जी, पशु विज्ञान केंद्र लूणकरनसर की प्रभारी डॉ. प्रवीण बानो, शस्य ग्राह्य परिक्षण केंद्र (ATC) लूणकरनसर के डॉ. के के सिंह, पंजाब नेशनल बैंक के वरिष्ठ शाखा प्रबंधक डॉ अमित गुप्ता जी उपस्थित थे।
हलवाहक कृषक उत्पादक कंपनी छतरगढ़ के दिनेश शर्मा , केंद्र के प्रगतिशील काश्तकार श्रवण गोदारा , दौलतराम, महिला काश्तकार श्रीमती विमला देवी, नाज़िया बानो, ग्रामीण युवा कुमारी नीतू भी इस बैठक में सम्मिलित हुए।
केंद्र प्रभारी डॉ. राजेश कुमार शिवरान ने केंद्र की गतिविधियों की जानकारी देते हुए गत वर्ष आयोजित की गयी सलाहकार समिति बैठक की कार्यवाही रिपोर्ट तथा वार्षिक प्रगति विवरण एवं आगामी वार्षिक कार्ययोजना की विस्तृत जानकारी दी।
अध्यक्ष डॉ. अरुण कुमार कुलपति स्वाकेराकृवि ने कृषि विज्ञान केंद्र पर किये जा रही गतिविधियों की प्रशंसा करते हुए अपनी आगामी कार्ययोजना को और अधिक व्यावहारिक और आवश्यकतानुरूप बनाने का सुझाव दिया जिसके लिए किसान चौपाल चर्चा और समस्या समाधान का बेहतर माध्यम सिद्ध हो सकता है।
उन्होंने कहा कि कृषि विज्ञान केंद्र पर राठी की डेमो यूनिट अवश्य लगायी जानी चाहिए, जिससे पशुपालकों में देसी गौवंश के प्रति रूझान बढे। मुख्य अतिथि डॉ. कैलाश चौधरी ने कृषि विज्ञान केंद्र को किसानों, वैज्ञानिकों और कृषि विभाग के बीच की कड़ी बताते हुए कहा कि अधिक से अधिक नए किसानों से जुड़ने का प्रयास करें।
निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ. सुभाष चंद्र ने कृषि विज्ञानं केंद्र के कार्यों की सराहना करते हुए कामयाब कृषि तकनीकियों के क्षैतिज प्रसार के आंकड़ों की गणना करने का सुझाव दिया । सहायक निदेशक (उद्यानिकी) डॉ. राजेश गोदारा जी ने इस क्षेत्र में पॉलीहाउस में निमेटोड की समस्या का निदान तलाशने और पॉलीहाउस में खीरे के विकल्प खोजने की आवश्यकता पर बल दिया।
नाबार्ड के डॉ रमेश ताम्बिया ने किसानों को समन्वित कृषि प्रणाली के लिए प्रेरित करने और उद्यमिता विकास के प्रति जागरूक करने का सुझाव दिया और नाबार्ड द्वारा की जा रही योजनाओं की जानकारी भी दी। कृषि अनुसन्धान केंद्र के आचार्य डॉ. भूपेंद्र सिंह शेखावत ने जल शक्ति और जल संचय को ध्यान में रखते हुए ड्रिप सिंचाई विधि का अधिक प्रचार प्रसार करने का सुझाव दिया। केशुबास बीकानेर के डॉ शिव राम मीणा ने शुष्क बागवानी से सम्बंधित काचरी, काकड़िया, तर-ककड़ी, खरबूजा, बेलपत्र आदि के बारे में विस्तार से बताया एवं कृषि विज्ञानं केंद्र के साथ मिलकर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने का आश्वासन दिया।
भारतीय दलहन अनुसन्धान केंद्र के अध्यक्ष डॉ. सुधीर कुमार ने मोठ और मूंग का क्षेत्र बढाने के उद्देश्य से अधिक प्रदर्शन लगाने पर बल दिया । कार्यक्रम का संचालन एवं धन्यवाद् ज्ञापन केंद्र की खाद्य एवं पोषण विशेषज्ञ डॉ. ऋचा पंत ने किया ।
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