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12 गौशालाओं द्वारा फर्जी अनुदान प्राप्त करना पाया गया, लाइसेंस निरस्त कर सम्बंधित कर्मचारियों को निलंबित कर दिया गया



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12 गौशालाओं द्वारा फर्जी अनुदान प्राप्त करना पाया गया, लाइसेंस निरस्त कर सम्बंधित कर्मचारियों को निलंबित कर दिया गया

गौशालाओं द्वारा फर्जी अनुदान प्राप्त करने की शिकायतों पर दोषियों के विरुद्ध ठोस कार्रवाई की जाएगी – गोपालन मंत्री

जयपुर, 16 जुलाई। गोपालन मंत्री श्री जोराराम कुमावत ने मंगलवार को राज्य विधानसभा में कहा कि पूरे प्रदेश में गौशालाओं द्वारा फर्जी अनुदान प्राप्त करने की शिकायतों पर राज्य सरकार द्वारा उच्चस्तरीय जाँच कर दोषियों के विरुद्ध ठोस कार्रवाई की जाएगी।

गोपालन मंत्री प्रश्नकाल के दौरान सदस्य द्वारा इस संबंध में पूछे गए पूरक प्रश्नों का जवाब दे रहे थे। उन्होंने कहा कि गत सरकार के कार्यकाल में कई गौशालाओं द्वारा फर्जी अनुदान प्राप्त किया जा रहा था। राज्य सरकार द्वारा जैसलमेर जिले में फर्जी अनुदान उठाने की शिकायतों की जांच करवाए जाने पर 12 गौशालाओं द्वारा फर्जी अनुदान प्राप्त करना पाया गया। राज्य सरकार द्वारा कार्रवाई करते हुए इन गौशालाओं के लाइसेंस निरस्त कर सम्बंधित कर्मचारियों को निलंबित कर दिया गया। 
 
गोपालन मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार गौवंश के कल्याण के लिए संवेदनशील है। उन्होंने आश्वस्त किया कि भविष्य में वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता देखते हुए गौवंश पालकों को प्रत्येक गाय पर दिए जाने वाले अनुदान को बढ़ाने के सम्बन्ध में निर्णय लिया जा सकेगा। 

इससे पहले विधायक श्री अर्जुन लाल जीनगर के मूल प्रश्न के लिखित जवाब में गोपालन मंत्री ने बताया कि वर्तमान में बेसहारा गौवंश पालकों को प्रत्येक गाय पर 1000 रूपये अनुदान देने का प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। उन्होंने बताया कि गौशाला एवं कांजी हाउस में संधारित निराश्रित गौवंश के भरण-पोषण के लिए वर्तमान में एक वर्ष पूर्व का पंजीयन और न्यूनतम 100 गौवंश होने पर वित्तीय वर्ष 2019-20 से बड़े गौवंश के लिए 40 रूपये तथा छोटे गौवंश के लिए 20 रूपये की दर से तथा वित्तीय वर्ष 2022-23 से 270 दिवस की सहायता राशि दिये जाने का प्रावधान है।

श्री कुमावत ने बताया कि नंदीशालाओं में नर गौवंश तथा गौशालाओं में अपाहिज व अंधे गौवंश के भरण-पोषण के लिए सहायता राशि 12 माह दिये जाने का प्रावधान है। उन्होंने बताया कि महात्मा गांधी नरेगा एक्ट, 2005 के तहत न्यूनतम रोजगार की गारंटी दी जाती है तथा यह व्यक्तिगत लाभार्थियों की योजना है, जबकि गौशालाओं का संचालन स्वयंसेवी संस्थाओं एवं ट्रस्ट के द्वारा किया जाता है।

श्री कुमावत ने जानकारी दी कि नदियों को बचाने के लिए ग्राम पंचायत गौशाला एवं पशु आश्रय स्थल जनसहभागिता योजना एवं पंचायत समिति स्तरीय नंदीशाला जनसहभागिता योजना संचालित की जा रही है। इन दोनों योजनाओं के अंतर्गत आवेदन प्राप्त करने एवं पात्र संस्था का चयन करने के लिए जिला स्तर पर निविदा आमंत्रित की जाती है। चयनित संस्था के साथ अनुबंध किया जाता है। उन्होंने बताया कि योजना के अन्तर्गत प्रावधित राशि 1 करोड़ एवं 1.57 करोड़ रूपये (10 : 90) का तकमीना प्राप्त किया जाता है। तकमीना अनुसार प्रशासनिक स्वीकृति जिला संयुक्त निदेशक, पशुपालन विभाग के स्तर पर जारी की जाती है। उन्होंने बताया कि चयनित संस्था द्वारा योजना में प्रावधित राशि 1 करोड़ एवं 1.57 करोड़ रूपये का 10 प्रतिशत राशि का संस्था के हिस्से का कार्य संस्था द्वारा करवाया जाता है। 10 प्रतिशत कार्य पूर्ण होने के बाद राज्यांश की प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय किश्त 40 : 40 : 10 के अनुपात में जारी किये जाने का प्रावधान है ।




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