- मोहन थानवी
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के राजस्थान से बाहर होने के बावजूद उनके मुख्यमंत्री की कुर्सी संबंधित एक वक्तव्य ने सियासी पारा बढ़ा दिया है। राजनीतिक जगत में अलग-अलग गुटों के कार्यकर्ता मुख्यमंत्री गहलोत के यह कुर्सी मुझे नहीं छोड़ती, आगे भी नहीं छोड़ेगी वक्तव्य को लेकर अपने-अपने मायने निकाल रहे हैं।
जबकि इससे पहले मंगलवार का आधा दिन बीतने तक राजनीतिक मैदान में मतगणना दिवस से पहले की शांति व्याप्त थी। चुनाव प्रचार के दौरान हर-चार छह घंटे में नए आरोप प्रत्यारोप जड़ने वाली शख्सियतें कहीं और व्यस्त हो गई थी। कोई संकेत नहीं दे रही थी सिवाय इसके कि दोनों दल कह रहे - केवल उनकी ही पार्टी जीत रही है।
ऐसे में भाजपा और कांग्रेस दोनों की तरफ से बहुमत से सरकार बनाने की आवाजें चहुंओर से तो अब भी सुनाई दे रही है। लेकिन मंगलवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने तेलंगाना में प्रेस वार्ता कर अपनी ओर से एक बड़ा संकेत देकर सियासी हवाओं का रुख ही मोड़ दिया ।
उन्होंने वहां कहा - यह कुर्सी मुझे नहीं छोड़ती, आगे भी न ही छोड़ेगी। मतगणना से पहले गहलोत के न ही छोड़ेगी वाले इस वक्तव्य को सियासी हलकों में कई नजरियों से देखा जा रहा है। इसके सियासी मायने भी निकाले जा रहे हैं।
लोग दबी जुबान में कहते सुनाई दे रहे हैं की मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का यह वक्तव्य खासतौर से उन कार्यकर्ताओं के लिए संकेत हो सकता है जो सचिन पायलट को मुख्यमंत्री पद पर आसीन होते देखना चाह रहे हैं।
बातें यह भी हो रही है की चुनाव परिणाम आने पर राजस्थान राजनीतिक नजरिए से अखाड़ा सिद्ध हो सकता है। लोगों का कहना है कि कांग्रेस जीते अथवा भाजपा विजयी हो, मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए हलचल को तेज होना ही है।
हालांकि भाजपा की ओर से अथवा कांग्रेस की तरफ से खुलकर ऐसा अभी तक तो सामने आया नहीं है।
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