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पढ़ना और पढ़ाना जीवन सफल बनाना 📚
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सबकी घड़ियों में अपना टाईम दिखाने में पारंगत गहलोत का सियासी क्वेरेंटाईन
राजनीति के क्षेत्र में विशेषकर राजस्थान में अशोक गहलोत का नाम जादूगर के रूप में लिया जाता है यह नाम ऐसे ही नहीं पड़ा इसके पीछे ऐसे बहुत से किस्से भी हैं जब विपरीत परिस्थितियों को गहलोत ने अनुकूल बनाने के लिए ऐसी राह चुनी कि सभी लोग वाह-वाह कर उठे लेकिन... इस बार मसला कुछ और है
जयपुर । कांग्रेस में सचिन पायलट
खेमे और कुछ अपने विधायकों की नाराजगी के
बावजूद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत फिलहाल किसी
भी नेता से आमने-सामने बैठकर न मुलाकात करेंगे
और न बैठक करेंगे। गहलोत ने पोस्ट कोविड
सावधानियों पर डॉक्टरों की सलाह का हवाला देते हुए
अभी एक दो महीने तक व्यक्तिगत मुलाकात और
बैठकों से इनकार कर दिया है। सचिन पायलट खेमे
की नाराजगी के बीच मुख्यमंत्री के इस फैसले के
राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं। इसे मंत्रिमंडल
विस्तार टालने की कवायद से जोड़कर देखा जा रहा
है। मुख्यमंत्री की पब्लिक रिलेशन सेल के बयान में
लिखा है कि कोविड संक्रमित होने के बाद से पोस्ट
कोविड सावधानी को देखते हुए डॉक्टर्स की सलाह पर
एहतियातन मुख्यमंत्री की व्यक्तिगत रूप से मुलाकात
नहीं हो पा रही हैं। सभी मीटिंग्स और बातचीत वीडियो
कॉन्फ्रेंस या वीडियो कॉल से की जा रही हैं। डॉक्टर्स
ने कहा है कि अभी एक-दो महीने और वीसी से ही
मीटिंग्स करें। विभागों की बैठकें और रिव्यू मीटिंग्स भी
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से की जा रही हैं।
कोरोना को लेकर एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी रूप से मीटिंग्स की
गई हैं, लगभग 15-16 माह में करीब 355 वीसी की
जा चुकी हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से उनके ही
खेमे के कई विधायकों ने मिलने का समय मांग रखा
है। बसपा से कांग्रेस में आने वाले विधायकों ने भी
मिलने का वक्त मांगा है। इस बीच मुख्यमंत्री के
व्यक्तिगत रूप से मुलाकात नहीं करने के फैसले से
सियासी चर्चाएं शुरू हो गई हैं।
पिछले दिनों कई विधायकों से फेस टू
फेस मिल चुके मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री ने पिछले दिनों कई विधायकों से फेस
टू फेस मुलाकात की है। सचिन पायलट खेमे के
विधायक पीआर मीणा से पिछले सप्ताह मुख्यमंत्री ने
मुलाकात की थी। कांग्रेस विधायक मदन प्रजापत भी
सीएम से व्यक्तिगत रूप से मिले। इसके अलावा कांग्रेस
के दर्जनों विधायक भी उनसे फेस टू फेस मिल चुके हैं।
मंत्रिमंडल विस्तार लंबा खींचने के संकेत
मुयमंत्री की ओर से जारी बयान से साफ है कि
अभी एक-दो महीने वे व्यक्तिगत रूप से किसी से बैठक
नहीं करेंगे। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि अब
मंत्रिमंडल विस्तार लंबा खिंच सकता है। कम से एक
एक से दो महीने तक आगे खिसकने के संकेत मुख्यमंत्री
ने दे ही दिए हैं। बताया जाता है कि मुख्यमंत्री मौजूदा
घटनाक्रम में मंत्रिमंडल विस्तार और राजनीतिक
नियुक्तियां करने के पक्ष में नहीं है, क्योंकि इससे मैसेज
यह जाएगा कि पायलट खेमे के दबाव में सब कुछ हुआ।
किसी दबाव में फैसला नहीं करना
चाहते गहलोत
पार्टी सूत्रों के मुताबिक, मुख्यमंत्री की रणनीति
अभी चल रहे पूरे विवाद के शांत होने के बाद मंत्रिमंडल
विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियां करने की बताई जा
रही है, ताकि दबाव में काम करने का मैसेज न जाए।
इस बीच 12 जिलों में पंचायतीराज संस्थाओं के चुनाव
भी होने को हैं। अगर राज्य निर्वाचन आयोग ने चुनाव
कार्यक्रम घोषित कर दिया तो दो महीने तक मंत्रिमंडल
विस्तार टालने का और पुख्ता आधार हो जाएगा।
इधर ....पायलट गुट के बाद पिछले
साल के संकटमोचक भी नाराज
जयपुर (हिस)। राजस्थान में अशोक गहलोत
सरकार की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं। सचिन
पायलट गुट की नाराजगी के बीच पिछले साल के
संकटमोचक भी असंतोष जाहिर कर रहे हैं। बहुजन
समाज पार्टी (बीएसपी) से कांग्रेस में आए 6 विधायक
भी पद नहीं मिलने से निराश हैं और खुलकर अपनी
इच्छा जाहिर कर रहे हैं। अशोक गहलोत पायलट गुट से
किए वादे को ही नहीं निभा पा रहे हैं तो पिछले साल
बीएसपी से कांग्रेस में आकर सरकार बचाने वाले
विधायकों ने पद मांगना शुरू कर दिया है। विधायक
राजेंद्र सिंह गुढ़ा ने जो कुछ कहा है उससे गहलोत सरकार
की चिंताएं बढ़ गई हैं।
विधायक गुढ़ा ने जयपुर में मीडिया से बातचीत
करते हुए साफ कहा कि जब कांग्रेस के 19 विधायक
छोड़कर जा चुके थे तब यदि उनका सहारा नहीं होता तो
निश्चित ही सरकार गिर जाती और इस बार कांग्रेस
सरकार गिरने की पहली पुण्यतिथि मनाने की तैयारी
करती। गुढ़ा ने कहा कि मंत्रिमंडल विस्तार की 100
फीसदी आवश्यकता है। अब सरकार को चाहिए कि
मंत्रिमंडल का विस्तार करे। जब उनसे समर्थकों के
संबंध में सवाल किया गया तो गुढ़ा ने बेबाकी से कहा
कि सभी समर्थक सवाल करते हैं और नाराज भी हैं।
उन्होंने खुद को और उनके साथियों को भी मंत्रिमंडल में
शामिल करने की ओर सरकार को इशारा किया है।
करौली से विधायक लाखन सिंह ने कहा कि मंत्रिमंडल
का विस्तार होना चाहिए क्योंकि इससे सरकार की
कार्यकुशलता बढ़ेगी।
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हिस
युगपक्ष
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