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नंदीघोष खंडित कर लक्ष्मी ने उतारा गुस्सा, फिर ससुराल लौट गई



( शांत होकर  लक्ष्मी लौट आई अपने ससुराल.) 

बीकानेर 17 जुलाई 2018 । वर्षा से खुशगवार हुए मौसम ने भी लक्ष्मी के क्रोध को शांत नहीं किया तो वे अणचाबाई अस्पताल के सामने स्थित अपने ससुराल जगन्नाथ मंदिर से निकल कर अपने पीहर रसिक शिरोमणि मंदिर रतन बिहारी पार्क पहुंची। जहां महाप्रभु जगन्नाथ उन्हें बिना बताए ही आ गए थे।  इस बात से नाराज और कुपित लक्ष्मी जी ने रसिक शिरोमणि मंदिर यानी अपने पीहर में प्रवेश नहीं किया बल्कि पहले परिक्रमा कर स्थिति जांची फिर बाहर ही रखे तीन रथों में से पहचान कर  जगन्नाथ के रथ नंदीघोष को खंडित कर दिया।  तब उनका आक्रोश कुछ कम हुआ और वे यह विचार कर मुस्कुराई की खंडित रथ के कारण अब महाप्रभु यहीं निवास करने को विवश होंगे। लक्ष्मी थकान दूर करने के उद्देश्य से कुछ देर मंदिर की सीढ़ियों पर विश्राम करने लगी। शाम गहराई, अंधेरा होने लगा तो लक्ष्मी जी का कोप कुछ और शांत हुआ एवं वे अपने ससुराल जगन्नाथ मंदिर की ओर लौट चली ।  प्रतीक रूप में ये सारे दृश्य हुए। यह परंपरा बीकानेर में जगन्नाथ यात्रा के तहत मंगलवार को निर्वहन की गई । जगन्नाथ मंदिर से लक्ष्मी जी को पुजारी स्वयं लेकर रसिक शिरोमणि मंदिर पहुंचे थे । इस परंपरा निर्वहन और लक्ष्मी जी के दर्शन करने बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे और परिसर लक्ष्मी जी के जयकारों से गूंज रहा था।  रसिक शिरोमणि मंदिर में जगन्नाथ प्रभु अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ आए हुए हैं जहां उनकी पकवान और व्यंजनों से आवभगत की जा रही है।  प्रतिदिन नए नए वस्त्र आभूषण पहनाए जा रहे हैं । मंगलवार को भी अभिषेक कर नए वस्त्र आभूषण पहनाए गए । सत्संग मंडली में भजन कीर्तन किया भगवान जगन्नाथ की कथा का वाचन किया गया । श्रद्धालुओं ने जगन्नाथ जी के दर्शन उनके भाई बलभद्र और सुभद्रा के साथ किए।
(. दैनिक युगपक्ष का आभार )

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