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जांबाज़ बेटियां : सूर्य परमाल

सिंधी नाटक जांबाज़ धीअरु : सूर्य परमाल - Mohan Thanvi सीन 1 कासिम जो दरबार सूत्रधार: दाहरसेन जो सिन्धु जे लाय वीरगति प्राप्त करणि जो समाचार बुधी रनिवास में महाराणी लादीबाईअ तलवार हथनि में खरणि जो ऐलान कयो। इयो बुधी सिन्धुजा वीर जवान बीणे जोशो-खरोश सां दुश्मन जे मथूं चढ़ी विया। महारानी लादीबाई उननि जी अगुवा हुई। उनजो आवाज बुधी दुश्मन जे सैनिकनि जी हवा खराब पेई थे। ऐहड़े वक्त में कुछ देशद्रोही अरबनि सां मिली विया। महाराणीअ जे सलाहकारनि उनखे बचणि जा रस्ता बुधाया पर सिन्धुजी उवा वीर राणी बचणि जे लाय न बल्कि बियूनि खे बचायणि जे लाय जन्म वड़तो हूयो। उन दुश्मन जे हथ लगणि खां सुठो त भाय जे हवाले थियणि समझो। सभिनी सिन्धी ललनाउनि मुर्सनि जे मथूं दुश्मन जो मुकाबलो करणि जी जिम्मेवारी रखी। पाणि जौहर कयवूं। इन विच इनाम जी लालच एं पहिंजी जान बचायणि जे लाय देशद्रोहिनि राजकुमारी सूर्यदेवी एं परमाल खे कैद करे वड़तो। पर जुल्मी वधीक हूया। उवे किले में घिरी आहिया उननि कासिम जे दरबार में बिनी राजकुमारियूनि खे पेश कयो- कासिम: सिन्धु जे किले ते फतह करणि में असांजा घणाइ जांबांज मारजी विया आह

ये रास्ते हैं जीवन के...

ये रास्ते हैं जीवन के... पुल से स्टेशन विहंगम दिखा । तीनों प्लेटफार्म मानो छू सकता था । वहां गाड़ी की प्रतीक्षा में मौजूद हुजूम से बतिया सकता था । देखते देखते प्लेटफार्म नं एक पर गाड़ी आन पहुंची। कोई खास हलचल नहीं । एक दो ही लोग गाड़ी में जा बैठे । ये पैसेंजर थी। गांव जाने के लिए जरूरी और मजबूरी में ही लोग इसमें यात्रा करते हैं । तभी तीन नं पर गाड़ी के पहुंचते पहुंचते लोग डिब्बों में घुसने लगे । पलक झ पकी न झपकी 100-200 लोग गाड़ी में बैठे दिखे । ये बड़े शहरों में जाने वाली एक्सप्रेस है । इससे लोग बिना मकसद दिखावा करने या सिर्फ घूमने के लिए भी जाते हैं । दो नं प्लेटफार्म लऑगों के होते हुए भी शांत दिखा । वहां गाड़ी पहुंची तो कुछ देर तक लोग डिब्बों में झांकते रहे । पसंदीदा जगह दिखी तो 10-15 लोगों ने अपना सामान वहां जमाया फिर खुद भी बैठ गए । ये गाड़ी तीर्थयात्रा स्पेशल थी । इसमें जीवन का लक्ष्य निर्धारित कर जीने वाले ही यात्रा करते हैं । अपना सामान यानी विचारों का आदान प्रदान कर तीर्थ करते हैं । पुल से आहिस्ता आहिस्ता उतर कर नाचीज ने अपना सामान इंजन से चौथे डिब्बे में जमा लिया । -